लातेहार के कोयले से दूसरे राज्यों का बढ़ रहा राजस्व
झारखंड राज्य के लातेहार जिले में खनिज संपदा की प्रचुरता के ।
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : झारखंड राज्य के लातेहार जिले में खनिज संपदा की प्रचुरता के कारण यहां औद्योगिक विकास की असीम संभावनाएं हैं। लातेहार की धरती के नीचे दबा कोयला वर्तमान समय में महानगरों की ईंट को पकाने का कार्य कर रहा है। साथ ही देश के विभिन्न इलाकों में स्थित पावर प्लांट, स्टील प्लांट समेत कोयला आधारित फैक्ट्रियों की रीढ़ बना हुआ है।
कोयला आधारित उद्योग लगे तो बनेगी बात :
यदि लातेहार जिले में कोयला आधारित उद्योग लग जाए तो राज्य की विकास दर भी बढ़ेगी और स्थानीय स्तर पर प्रवासी मजदूरों को रोजगार का एक स्थायी साधन भी सहज रूप से मुहैया हो जाएगा। इस दिशा में सरकार को तत्काल पहल करने की जरूरत है यदि ऐसा करने में सरकार को सफलता मिलती है तो एक आत्मनिर्भर झारखंड बनाने की दिशा में यह कारगर प्रयास सिद्ध होगा।
लातेहार में उद्योग नहीं होने का फायदा दूसरे राज्यों को :
देश के विभिन्न राज्यों में लातेहार जिले के कोयले का भारी मात्रा में उपयोग कर कोयला आधारित फैक्ट्रियों का संचालन कर व्यवसायी खुद तो मालामाल हो ही रहे साथ ही उस संबंधित राज्य के राजस्व को भी बढ़ा रहे हैं। झारखंड राज्य में कोयला आधारित उद्योगों की संख्या में भारी कमी एवं कोयला से परिपूर्ण लातेहार जिले में एक भी उपयोग नहीं होने के कारण इसका पूरा फायदा दूसरे प्रदेशों को मिल रहा है।
मशीनीकरण के बदले मजदूरों को प्राथमिकता देने से होगा फायदा :
लातेहार जिले में सीसीएल एवं झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड की कोलियरी संचालित की जाती है। सीसीएल की ओर से संचालित कोलियरी में वाहनों की लोडिग का कार्य मशीनों से होता है। जबकि झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड की ओर से संचालित सिकनी कोलियरी में वाहनों की लोडिग मजदूरों से कराया जाता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन के बाद वापस अपने गांव लौटे मजदूरों को कोलियरी में मशीनों के बदले लोडिग का कार्य देकर प्रवासी मजदूरों को काफी हद तक रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।
कोट ::
उद्योगों की स्थापना से जिले का समूचित विकास होगा। प्रवासी मजदूरों को उनके घरों पर ही रोजगार मिल जाएगा और जिले के विकास दर में भी वृद्धि होगी। सरकार को लातेहार जिले में उद्योगों की स्थापना में बिल्कुल भी विलंब नहीं करना चाहिए।
प्रेमशंकर भगत, वरिष्ठ व्यवसायी, चंदवा लातेहार।