झारखंड के लातेहार में तड़पती रही गर्भवती, गर्भ में ही हो गई बच्चे की मौत
Jharkhand. लातेहार में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां चिकित्सकों की लापरवाही से गर्भ में ही एक बच्चे की मौत हो गई।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 01:40 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 08:02 PM (IST)
लातेहार, जासं। लातेहार की बदहाल स्वास्थ्य सेवा ने शुक्रवार की अहले सुबह एक बार फिर एक गर्भस्थ शिशु की जान ले ली। एक बुजुर्ग स्वास्थ्य सहिया की कोशिश से गर्भवती महिला की जान बच गई। सहिया द्वारा प्रसव कराए जाने के बाद भी बच्चे को खोने वाली महिला की मुसीबत कम नहीं हुई। बेड पर जगह नहीं होने के कारण महिला को जमीन पर ही लिटा दिया गया।
बताया जाता है कि लातेहार के ओदान गांव निवासी नारायण सिंह की पत्नी जयंती देवी को प्रसव पीड़ा होने के बाद 12 जून की रात 9:30 बजे परिजन इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे। यहां महिला की स्थिति देखने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। दो दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद महिला को शुक्रवार अल सुबह 3 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई परिजन एएनएम को बुलाने के लिए। उधर अस्पताल में न तो चिकित्सक थे न स्वास्थ्य कर्मी। ड्यूटी पर लगाई गई एएनएम सोई रही।
उधर, महिला के परिजन एएनएम से मिन्नतें करते रहे, लेकिन एएनएम न तो नींद से जागी और ना ही मौके पर पहुंचीं। महिला के कराहने की आवाज सुनकर अस्पताल में मौजूद दो बुजुर्ग स्वास्थ्य सहिया तीरथमणी देवी (हरखा, लातेहार) और नुरेशा बीवी (शिवचरण टोला मनिका) मौके पर पहुंची। महिला को आनन-फानन में प्रसव कक्ष में ले जाया गया। यहां ग्लब्स जैसे आवश्यक उपकरणों के बिना 4 बजे सुबह महिला का किसी तरह सहिया ने प्रसव कराया, लेकिन तबतक गर्भ में ही बच्चे की मौत हो चुकी थी।
मामले की जानकारी होने के बाद हर बार की तरह विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचे पूरे मामले की जानकारी ली और मामले की जांच में दोषी पाए जाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई की बात कहकर अपने कार्यालय लौट गए। इसके बाद सिस्टम की मार से लाचार जयंती और उसके परिजन मृत बच्चे के साथ वापस घर लौट गए।
यह अत्यंत गंभीर मामला है। मामले की जांच कराई जाएगी, जांच में जो दोषी पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. शिवपूजन शर्मा, सीएस, सदर अस्पताल, लातेहार।
बताया जाता है कि लातेहार के ओदान गांव निवासी नारायण सिंह की पत्नी जयंती देवी को प्रसव पीड़ा होने के बाद 12 जून की रात 9:30 बजे परिजन इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे थे। यहां महिला की स्थिति देखने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। दो दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद महिला को शुक्रवार अल सुबह 3 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई परिजन एएनएम को बुलाने के लिए। उधर अस्पताल में न तो चिकित्सक थे न स्वास्थ्य कर्मी। ड्यूटी पर लगाई गई एएनएम सोई रही।
उधर, महिला के परिजन एएनएम से मिन्नतें करते रहे, लेकिन एएनएम न तो नींद से जागी और ना ही मौके पर पहुंचीं। महिला के कराहने की आवाज सुनकर अस्पताल में मौजूद दो बुजुर्ग स्वास्थ्य सहिया तीरथमणी देवी (हरखा, लातेहार) और नुरेशा बीवी (शिवचरण टोला मनिका) मौके पर पहुंची। महिला को आनन-फानन में प्रसव कक्ष में ले जाया गया। यहां ग्लब्स जैसे आवश्यक उपकरणों के बिना 4 बजे सुबह महिला का किसी तरह सहिया ने प्रसव कराया, लेकिन तबतक गर्भ में ही बच्चे की मौत हो चुकी थी।
मामले की जानकारी होने के बाद हर बार की तरह विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचे पूरे मामले की जानकारी ली और मामले की जांच में दोषी पाए जाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई की बात कहकर अपने कार्यालय लौट गए। इसके बाद सिस्टम की मार से लाचार जयंती और उसके परिजन मृत बच्चे के साथ वापस घर लौट गए।
यह अत्यंत गंभीर मामला है। मामले की जांच कराई जाएगी, जांच में जो दोषी पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. शिवपूजन शर्मा, सीएस, सदर अस्पताल, लातेहार।
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