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गुरिल्ला वार में माहिर 200 नक्सली इस अभेद्य किले को छोड़ने के लिए तैयार नहीं

बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ने वाले नक्सलियों का मनोबल मजबूत करने के लिए विश्वनाथ दस्ता यहां कुछ माह पूर्व पहुंचा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 03:35 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 05:21 PM (IST)
गुरिल्ला वार में माहिर 200 नक्सली इस अभेद्य किले को छोड़ने के लिए तैयार नहीं
गुरिल्ला वार में माहिर 200 नक्सली इस अभेद्य किले को छोड़ने के लिए तैयार नहीं

लातेहार [उत्कर्ष पाण्डेय]। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और पुलिस के बीच मंगलवार की सुबह से बूढ़ा पहाड़ के इलाके में रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है। बूढ़ा पहाड़ काफी दुर्गम है। सीधी चढ़ाई और वनों के बीच से पहाड़ी पर चढ़ाना आसान नहीं है। चूंकि नक्सली पहाड़ी पर हैं और पुलिस को नीचे से पहाड़ी पर पहुंचना है, इसलिए पूर्ण सतर्कता के साथ सुरक्षाबल के जवान अभियान चला रहे हैं। माना जा रहा है शीर्ष नक्सली नेता सुधाकरण इसी इलाके में पनाह लिए हुए है। आसपास के कई इलाकों में नक्सली गतिविधियों का संचालन भी नक्सलियों के इसी गढ़ से होता रहा है।

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मंगलवार की घटना के बाद बढ़ी पुलिस कार्रवाई के बीच गोलीबारी की आवाज से आसपास के ग्रामीण इलाकों में दहशत है। झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पर पुलिस गत तीन वर्षों से लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन नक्सली अपने इस किले को आसानी से छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं, सुरक्षा बल के जवान इस खूबसूरत पहाड़ को नक्सलियों के लाल आतंक से हर हाल में मुक्त करा लेना चाहते हैं। यही वजह है कि सुरक्षा बल के जवान लगातार नक्सलियों के खिलाफ छापामारी अभियान चला रहे हैं, तो दूसरी ओर नक्सली भी लैंडमाइंस बिछाकर पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को निशाना बना रहे हैं।

कुछ महीने पहले पहुंचा है विश्वनाथ का दस्ता

सूत्र बताते हैं कि बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ने वाले नक्सलियों का मनोबल मजबूत करने के लिए विश्वनाथ दस्ता यहां कुछ माह पूर्व पहुंचा है। लोग बताते हैं कि ओड़िशा के दंडकारण्य में इस दस्ते का आतंक सिर चढ़कर बोलता है। छह माह पूर्व में बुढ़ा पहाड़ी के समीप इसी दस्ते ने लैंड माइंस विस्फोट किया था, जिसमें 7 जवान घायल हो गए थे।

तीन राज्यों तक फैला हुआ है बूढ़ा पहाड़
बूढ़ा पहाड़ तीन राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश तक में फैला हुआ है। नक्सली अक्सर इसी का फायदा उठाकर भाग निकलते हैं, लेकिन इस बार पूरा अभियान एकीकृत कमान के तहत चलाया जा रहा है। बूढ़ा पहाड़ पर गढ़वा और लातेहार जिला पुलिस, सीआरपीएफ और झारखंड जगुआर के जवान पिछले कुछ दिनों से संयुक्त रूप से नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चला रहे हैं।

बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर
झारखंड के लातेहार एवं गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ इलाके में नक्सलियों का एकछत्र राज चलता है। पूर्व में नक्सलियों ने इसे नए रंगरूटों का ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया हुआ था। यहां के चप्पे-चप्पे पर लैंड माइंस और बूबी ट्रैप्स का जाल बिछा रखा है। यहां खतरा कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां तेज हवा और बेतहाशा पड़ने वाली गर्मी की वजह से इन लैंड माइंस में विस्फोट भी हो जाता है, लेकिन अब सुरक्षाबल पूरी तैयारी के साथ इलाके को नक्सलियों से मुक्त कराने के अभियान में लगे हैं।

सुधाकरण के लिए हेलीकाप्टर से गिराया था पर्चा
राज्य सरकार और पुलिस के लिए सिरदर्द बने एक करोड़ के इनामी हार्डकोर नक्सली सुधाकरन रेड्डी को पकड़ने के लिए पुलिस की ओर से बराबर अभियान चलाया जाता रहा है। दो माह पूर्व भी इसके लिए गारू और आसपास के गांवों में पुलिस ने हेलीकॉप्टर से पर्चा गिराया है। यह पर्चे गारू थाना क्षेत्र के अति नक्सल प्रभावित कबरी, कोटाम, बारीबंध, डाडीछापर, साल्वे, हेनार, हेन्देहास गांव में गिराए गए थे। पचरे में हार्डकोर नक्सली सुधाकरन रेड्डी को पकड़वाने में पुलिस की सहयोग करने व उसके बारे में कोई भी जानकारी होने पर पुलिस को सूचना देने की अपील की गई थी। पर्चे के मुताबिक नक्सली सुधाकरण रेड्डी झारखंड में विकास कार्यों को बाधित कर, ठेकेदारों को डरा-धमका कर लेवी वसूल कर खुद एशो-आराम के साथ रह रहा है। अपने परिवार के उपर पैसे खर्च कर रहा है। झारखंड के गरीब आदिवासियों और भोले भाले ग्रामीणों का शोषण कर अर्जित संपत्ति अपने भाई एवं दोस्तों के माध्यम से अपने घर तेलंगाना भेज रहा है। इसको पकड़वाने वाले ग्रामीणों को सरकार द्वारा एक करोड़ इनाम दिया जाएगा।

शीर्ष नेताओं के साथ गुरिल्लावार में माहिर 200 नक्सली हैं पहाड़ पर मौजूद
लगातार अभियान के बावजूद झारखंड पुलिस के लिए बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करवाना अब भी सबसे बड़ी चुनौती है। बूढ़ा पहाड़ पिछले कुछ सालों से माओवादियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि बूढ़ा पहाड़ के बीहड़ो में एक करोड़ के इनामी नक्सली नेता सुधाकरन और उसकी पत्नी जया नक्सलियों के सबसे खतरनाक माने जाने वाले विश्वनाथ प्लाटून के साथ मौजूद है। नक्सलियों के इन दो शीर्ष नेताओं के अलावा, गुरिल्ला वार में माहिर करीब 200 नक्सली इस पहाड़ पर मौजूद हैं। दस्ते के सभी सदस्य अत्याधुनिक विस्फोटकों और अत्याधुनिक ऑटोमेटिक हथियारों से लैस हैं। ओड़िशा दंडकारण्य से आए नक्सलियों के विस्फोटक विशेषज्ञ विश्वनाथ बूढ़ा पहाड़ जाने वाले रास्तों पर आईईडी लगाकर अपने नेताओं के लिए सुरक्षा घेरा बनाकर मौजूद है।

हर महीने हो जाती है कम से कम एक मुठभेड़
झारखंड के तीन जिलों तक फैले बूढ़ा पहाड़ पर एक महीने से लगातार पुलिस बलों से नक्सलियों की मुठभेड़ हो ही जाती है। जवान या तो नक्सलियों को मार गिरा रहे हैं या घायल अवस्था में गिरफ्तार कर रहे हैं। दूसरी तरफ, नक्सली सुरक्षा बलों से सीधी लड़ाई नहीं कर रहे। वे विस्फोटकों का सहारा ले रहे हैं। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को ले जा रहे वाहनों में विस्फोट के जरिये उन्हें लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाल के दिनों में कई नक्सली मुठभेड़ में मारे गए हैं या गिरफ्तार किए गए हैं।

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