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गरीबों के मसीहा थे विनोबा भावे

झुमरीतिलैया (कोडरमा): झुमरीतिलैया के झारखंड विधि महाविद्यालय में सोमवार को विनोबा भावे ज

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Sep 2017 08:08 PM (IST)Updated: Mon, 11 Sep 2017 08:08 PM (IST)
गरीबों के मसीहा थे विनोबा भावे
गरीबों के मसीहा थे विनोबा भावे

झुमरीतिलैया (कोडरमा): झुमरीतिलैया के झारखंड विधि महाविद्यालय में सोमवार को विनोबा भावे जयंती समारोह का आयोजन किया गया।

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समारोह को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के सचिव डॉ. डीएन मिश्रा ने कहा कि भूदान आंदोलन के जनक आचार्य विनोबा भावे भारतीय सभ्यता के अपेक्षित वर्गों के लिए भगवान से भी बढ़कर मसीहा था जिन्होंने भूदान, श्रमदान के माध्यम से एक सामाजिक समरसता स्थापित करने का प्रयास किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विकास ¨सह ने कहा कि विनोबा जी का मजाक उड़ाया जाता था, ¨कतु धीरे-धीरे यह एक आंदोलन के रूप में परिणत हो गए। प्रो. सुनील कुमार ¨सह ने कहा कि झारखंड से ही भूदान आंदोलन को रफ्तार मिली। 1953 में संत विनोबा के आह्वान पर करीब साढ़े तीन लाख एकड़ जमीन दिया गया था तब से मृत्युपरांत 15 नवंबर 1982 तक संत का अभियान गरीबों, असहायों के लिए जारी रहा। इस अवसर पर प्रो. सुरेंद्र पांडेय, वेद प्रकाश मिश्रा, विनोद कुमार ¨सह, नीरज कुमार सिन्हा, प्रमोद कुमार ¨सह आदि ने भी विनोबा के आदर्श को अपनाने का संकल्प लिया।


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