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    वर्ष 2026 होगा कुछ खास, 13 महीने, दो ज्येष्ठ और एक मलमास

    By Arvind Choudhary Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Mon, 01 Dec 2025 06:08 PM (IST)

    झुमरी तिलैया में विवाहों की धूम है, विवाह भवन बुक हैं। अब वधू की विदाई समारोह स्थल से ही हो रही है। गायत्री मंदिर में भी शादियां हो रही हैं। विक्रम सं ...और पढ़ें

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    खूब मची है बैड बाजा और बराती की धूम ।

    अरविन्द चौधरी/झुमरी तिलैया। इन दिनों में अभ्रकनगरी कोडरमा में बैड बाजा और बराती की धूम मची है। विवाह भवन, बैंकेट हॉल की बुकिंग परवान पर है और लगन वाली तिथियों में कोई भी शादी समारोह स्थल खाली नहीं है।

    बताते चलें कि पहले वधु को अपने घर से विदा करने की पंरपरा थी। लेकिन पिछले एक दशक से विवाह समारोह से ही बेटी की विदाई हो रही है। इधर कई लोग दिन में ही शादी का कार्यक्रम कर रहे हैं ताकि कम खर्च में ही विवाह संपन्न हो जाय। गायत्री मंदिर के ध्वजाधारी धाम में भी शादियों की धुम मची है।

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    गायत्री मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार बुकिंग के लिए मंदिर कमेटी शपथ पत्र लेता है। कम संख्या में ही बराती व शराती को निमंत्रण दिया जाता है। इधर वर्तमान में विक्रम संवत 2082 चल रहा है। इस वर्ष की शुरुआत चौत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा (चेैत्र मास का पहला दिन) से मानी जाती है।

    अंत में साल का आखिरी माह फाल्गुन होता है। हालांकि विक्रम संवत पूरे देश में प्रचलित नहीं है। विक्रम संवत 2083 कुछ खास रहने वाला है। ज्येष्ठ माह 2 बार रहेगा। इस वर्ष ज्येष्ठ माह 58 दिनों का होगा और इसके बीच मलमास (अधिक मास) पड़ेगा।

    हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2083 में कुल 13 महीने होंगे। साथ ही इस साल विवाह के 57 शुभ मुहूर्त प्राप्त होंगे। वर्तमान में हिंदू धर्म के अनुसार मांगलिक कार्य जारी हैं।

    22 नवंबर 2025 से विवाह का मुहूर्त भी आरंभ हो गया है। पंचांग गणना के अनुसार 15 दिसंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक विवाह का कोई मुहूर्त नहीं रहेगा। पंडित जीवकात झा ने बताया कि वर्ष 2083 (अंग्रेजी वर्ष 2026) में ज्येष्ठ माह दो बार आएगा।

    ज्येष्ठ माह की अवधि 2 मई से 29 जून 2026 तक रहेगी। इसके बीच 17 मई से 15 जून तक मलमास (अधिक मास) रहेगा। सूर्य 16 नवंबर तक तुला राशि में रहेगा। मलमास या अधिक मास लगभग तीन वर्ष में एक बार जोड़ा जाता है।

    सौर वर्ष 365 दिन का और चंद्र वर्ष 354 दिन का माना जाता है। चंद्र और सौर वर्ष के बीच के लगभग 11 दिनों के अंतर को खत्म करने के लिए 3 वर्ष में एक बार अधिक मास जोड़ा जाता है। पंडित झा के अनुसार देवशयनी एकादशी 25 जुलाई से 19 नवंबर तक रहने के कारण इस अवधि में कोई मांगलिक कार्य नहीं हुए।

    दिसंबर 2025 एवं इसके बाद विवाह के शुभ मुहूर्त

     

    • दिसंबर 2025 4, 5, 6, 11
    • फरवरी 2026 4, 5, 10, 20, 21
    • मार्च 2026 9, 10, 11, 12
    • अप्रैल 2026 20, 21, 26, 29, 30
    • मई 2026 5, 6, 7, 8, 9, 10, 14
    • जून 2026 19, 20, 22, 23, 24, 26, 27, 29
    • जुलाई 2026 1, 3, 6, 7, 8, 9, 11, 12
    • नवंबर 2026 21, 24, 25, 26
    • दिसंबर 2026 2, 3, 4, 5, 11, 12

    वर्ष 2026 के अबूझ मुहूर्त

    • 23 जनवरी बसंत पंचमी
    • 26 मार्च रामनवमी
    • 19 अप्रैल अक्षय तृतीया
    • 25 अप्रैल जानकी नवमी
    • 25 मई गंगा दशमी
    • 25 जुलाई देवशयनी एकादशी
    • 20 नवंबर देवउठनी एकादशी