Koderma, Lok Sabha Election 2019: कोडरमा में लड़ाई त्रिकोण से बदलकर आमने-सामने की हुई
Lok Sabha Election 2019. कोडरमा में अबतक चुप रहे वोटरों की जुबां खुलने के साथ ही उनका रुझान भी सामने आने लगा है। मुकाबला दो बड़े चेहरों के बीच आमने-सामने की हो गई है।
कोडरमा, जागरण संवाददाता। Lok Sabha Election 2019 - कोडरमा लोकसभा का महासमर अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। शनिवार की शाम प्रचार अभियान की समाप्ति के साथ ही अब बूथ मैनेजमेंट व वोटों की गोलबंदी का काम शुरू हो गया है। अबतक चुप रहे वोटरों की जुबां खुलने के साथ ही उनका रुझान भी सामने आने लगा है।
मुकाबले की स्थिति अब त्रिकोणीय से बदलकर दो बड़े चेहरों के बीच आमने-सामने की हो गई है। महागठबंधन के उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी व भाजपा की अन्नपूर्णा देवी की उपस्थिति हर जगह है। जबकि भाकपा माले प्रत्याशी राजकुमार यादव दो विधानसभा क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। प्रचार अभियान की समाप्ति के बाद हर बार की तरह मुद्दे गौण हो गए हैं।
वोटरों की गोलबंदी कास्ट फैक्टर और मोदी फैक्टर के आधार पर ही हो रही है। लोकसभा क्षेत्र में प्रभाव रखनेवाली जातियों का एक तबका चुनाव को अपनी राजनीतिक अस्मिता से जोड़कर देख रहा है, तो दूसरा तबका मोदी फैक्टर के अनुसार निर्णय लेना चाहता है। इस तरह सभी जाति, समुदाय के मतों में विभाजन स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है।
यह अलग बात है कि इसका प्रतिशत किसी के पक्ष में ज्यादा तो किसी के पक्ष में कम है। भाजपा के लिए यह चिंता का विषय है कि उसके कोर वोटर ग्रुप में विभाजन स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। वहीं राहत की बात यह है कि एक बड़ा जातीय समूह इस बार भाकपा माले से खिसककर पार्टी की उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी के साथ खड़ा दिख रहा है।
इसी तरह तीन बड़े जातीय समूहों के बड़े हिस्से के साथ बाबूलाल मरांडी भाजपा की मजबूत सेना को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में दिख रहे हैं। इसके अलावा महागठबंधन के सहयोगी दलों कांग्रेस, राजद और झामुमो के संगठन व इनके परंपरागत वोट का भी कुछ लाभ इन्हें मिल सकता है।
वैसे भी करीब दस वर्षों तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए बाबूलाल मरांडी ने हर तबके में अपनी पहुंच व पहचान बनाई है। वहीं भाजपा के साथ उसके सारे सहयोगी संगठन चुनाव में लगे हुए हैं। विधानसभा क्षेत्र में पांच विधायक भी भाजपा के चुनाव अभियान को संचालित कर रहे हैं।
प्रचार अभियान में भी भाजपा अन्य दलों से काफी आगे रही है। पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी की सभा यहां हो चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा भी यहां निर्धारित थी, लेकिन खराब मौसम के कारण नहीं हो सकी। वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास यहां करीब आधा दर्जन सभाओं को संबोधित कर चुके हैं।
इससे पार्टी की नजर में इस सीट के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल, अब दलों का सारा दारोमदार अगले कुछ घंटे में होनेवाली सामाजिक गोलबंदी और मतदान के दिन बूथ पर वोटरों के टर्नअप होने की स्थिति पर निर्भर करेगा। कुल मिलाकर मुकाबला बेहद दिलचस्प व कांटे का हो गया है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप