सवा लाख से एक लड़ाऊं, तबै गुरुगो¨वद ¨सह नाम कहाऊं..
सबद कीर्तन में झूमे श्रद्धालु
संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा) : खालसा पंथ के संस्थापक व सिखों के दसवें गुरु गुरु श्री गो¨वद ¨सह जी का 352वां प्रकाशोत्सव मंगलवार को झुमरीतिलैया के रांची-पटना रोड स्थित गुरुनानकपुरा गुरुद्वारा में आयोजित किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से दीवान सजाया गया।
कार्यक्रम में पटना से आए रागी जत्था योगेंद्र ¨सह बिट्टू वीरजी, झुमरीतिलैया के कोमल कौर ने शबद कीर्तन तथा पठानकोट से आये कथावाचक विक्रम ¨सह ने गुरुवाणी प्रस्तुत कर संगत को निहाल किया। सबद कीर्तन में सवा लाख से एक लड़ाऊँ, तबै गुरुगो¨वद ¨सह नाम कहाऊं.., वाहो-वाहो गुरु गो¨वद ¨सह जी आप गुरु-चेला.., गुर संगत कीनी खालसा मन मुखी सोहेल.. आदि गुरुवाणी से गुरुद्वारा गूंजता रहा। गुरुगो¨वद ¨सह जी के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में कीर्तन दरबार की शुरूआत से ही हर ओर आस्था का शैलाब उमड़ता दिखाई दे रहा था।
मौके पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने दीवान के समीप माथा टेका व सुख-समृद्धि की कामना की। मौके पर कथावाचक विक्रेम ¨सह ने कहा कि सिख धर्म में त्याग का विशेष महत्व है। सिख धर्म के नौवें गुरु तेज बहादुर ने अपना परिवार का बलिदान कर दिया। शांति का संदेश नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उन्होंने कहा कि गुरुगो¨वद ¨सह का जन्म 5 जनवरी 1666 को हुआ था। वे एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक गुरु थे। 1669 में वैशाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की। कार्यक्रम के बीच-बीच में जो बोले सोनिहाल सत्यश्री अकाल के नारे लगाये जा रहे थे। इस दौरान कई कार्यकर्ताओं को सरोपा भेंट किया गया।
कार्यक्रम के बाद अटूट लंगर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरुनानकपुरा के प्रधान बलवीर ¨सह भाटिया, हरीश होरा, दशैन ¨सह गोल्डी ¨सह, गुरुवरण ¨सह, गुरजीत ¨सह ¨टकू, प्रीतपाल ¨सह जग्गी, महेंद्र ¨सह भाटिया, रम्मी ¨सह, कमलनयन ¨सह, जितेंद्र ¨सह, राजू अजमानी, रजत गोलू, हर्ष कुमार, सीपी भाटिया, हरजीत ¨सह लांबा, हरभजन ¨सह, संजू लांबा, गुरुवचन ¨सह बग्गा, नरेंद्र ¨सह सलूजा, सरबजीत कालरा, ग्रंथी निरंजन ¨सह, राजा ¨सह, अमरजीत ¨सह, चरणजीत कौर, दर्शन कौर, किरण कालरा, सुखी कौर, हरजीत कौर, चंद्रदीप कौर, देवेंद्र कौर, अमरजीत कौर, सुदेश छाबड़ा, जसवीर कौर, नीलम कौर, दर्शन कौर आदि उपस्थित थे।