हड़ताल से चरमराई जिले की सरकारी व्यवस्था
सामाजिक सदभावना एवं संप्रदायिक एकता पर मजबुती के लिए अब छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया जा रहा है। 19 से 25 नवंबर तक सामाजिक सदभावना सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत सोमवार को कोडरमा खनन संस्थान में सामाजिक सदभावना पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कोडरमा: स्थायीकरण, समान काम के बदले समान वेतन सहित अन्य मांगों को लेकर मनरेगा कर्मी पिछले 4 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में मनरेगा से जुड़े बीपीओ, अभियंता, रोजगार सेवक सभी शामिल हैं। वहीं मनरेगा कर्मियों का समाहरणालय परिसर में सोमवार को चौथे दिन भी धरना जारी रहा। इससे अब मनरेगा भी लगभग ठप हो गया है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों मनरेगा की योजनाएं चल रही है। रोजगार आधारित इस योजना में लोगों को रोजगार देना प्राथमिकता में है। लेकिन मनरेगा कर्मियों के हड़ताल से रोजगार की ये योजना चलना संभव नहीं है। वहीं मुखिया संघ और जिले का पारा शिक्षक भी हड़ताल पर है। यानी चारों तरफ हड़ताल का प्रभाव दिख रहा है। मुखिया संघ 15 नवंबर से कलमबंद हड़ताल पर चले गये है। मनरेगा कार्य में लाभुकों का भुगतान मुखिया के माध्यम से ही होता है। ऐसे में मनरेगा का संचालन कर्मियों व मुखिया के हड़ताल पर रहने से संभव नहीं हो सकेगा। लिहाजा मनरेगा के वार्षिक बजट भी प्रभावित होगा। इधर, धरना पर बैठे मनरेगा कर्मियों ने कहा कि पिछले 11 वर्षों से मनरेगा कर्मी कठिन मेहनत कर लोगों को रोजगार दे रहें है। लेकिन उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय है। यहां तक की दूसरों को रोजगार देने वाले वे लोगों का खूद के राशन पर आफत है। उनलोगों के साथ बंधुआ मजदूर जैसा वर्ताव हो रहा है। छोटे मामलों पर भी सीधे कर्मियों पर गाज गिराया जाता है। अधिकारी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। जिससे उनकी मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं होती है। धरना में बीपीओ राकेश रंजन, विकास कुमार, रामशरण कुमार, अभियंता प्रमोद कुमार, जिला सचिव विजय कुमार राय, राजीव कुमार शर्मा, सुरेंद्र चौधरी, बसंत शर्मा, जितेंद्र कुमार साहा, मनोज कुमार पंकज, राजनारायण महतो, संजय कुमार राही आदि शामिल थे।