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गबन के आरोपित अंकित चौधरी मिली ढाई साल की सजा

बिजली विभाग के साथ धोखाधड़ी कर 4.33 करोड़ रुपये गबन के आरोपी अंकित चौधरी को कोडरमा के सीजेएम न्यायालय ने 2.5 वर्ष की सजा सुनाई है। इस संबंध में दर्ज दो अलग-अलग मामले में न्यायालय ने अंकित को आपराधिक षडयंत्र का दोषी मानते हुए एक में डेढ़ वर्ष व दूसरे में ढाई वर्ष की सजा सुनाई गई है। वहीं मामले में चेक बाउंस व राशि की दावा का एक मामला अलग 119/09 अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 07:32 PM (IST)
गबन के आरोपित अंकित चौधरी मिली ढाई साल की सजा
गबन के आरोपित अंकित चौधरी मिली ढाई साल की सजा

कोडरमा: बिजली विभाग के साथ धोखाधड़ी कर 4.33 करोड़ रुपये गबन के आरोपी अंकित चौधरी को कोडरमा के सीजेएम न्यायालय ने 2.5 वर्ष की सजा सुनाई है। इस संबंध में दर्ज दो अलग-अलग मामले में न्यायालय ने अंकित को आपराधिक षडयंत्र का दोषी मानते हुए एक में डेढ़ वर्ष व दूसरे में ढाई वर्ष की सजा सुनाई गई है। वहीं मामले में चेक बाउंस व राशि की दावा का एक मामला अलग 119/09 अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है। शुक्रवार को न्यायालय के द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद अंकित चौधरी ने जमानत याचिका दायर की, जिसपर सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर दी। :::::क्या है पूरा मामला:::

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झुमरीतिलैया तिलैया गझंडी रोड स्थित आयरन फैक्ट्री तिरुपति इंगोट के तत्कालीन डायरेक्टर की हैसियत से अंकित चौधरी ने सितंबर 2007 से जनवरी 2009 तक फैक्ट्री में उपभोग की गई बिजली बिल के विरुद्ध विभाग को अलग-अलग तिथियों में अलग-अलग राशि का कुल 22 चेक जिसका मूल्य 4,33,08221 रुपया था, विभाग में जमा किया और जमा रसीद प्राप्त कर लिया। इस दौरान उन्होंने विभाग के कैशियर कामेश्वर प्रसाद के साथ कथित रूप से मिलीभगत कर विभाग की राशि गबन करने के उद्देश्य से चेकों को विभाग के बैंक खाता में जमा करने से रोके रखा। इस बीच मामले के वादी विभाग के तत्कालीन सहायक अभियंता सुबोध कुमार राय के अनुसार जब उन्हें इसका पता चला तो उन्होंने कैशियर के पास रखा चेक, कैशबुक आदि जब्त किया। लेकिन तबतक इनमें से 14 चेकों का छह माह का निर्धारित अवधि बीत चुका था, जिसके कारण उसे बैंक में नहीं लगाया जा सका। शेष 8 चेकों को जब बैंक में लगाया गया तो उसमें खाते में राशि नहीं होने के कारण सिर्फ एक चेक का रकम 5.17 लाख का भुगतान हो सका। इस तरह विभाग ने मामले में 4,27,91,021 का दावा करते हुए कोडरमा के सीजीएम न्यायालय में भादवि की धारा 420, 406 और 138 एनआई एक्ट के तहत एक परिवाद पत्र दाखिल किया, जो अभी न्यायालय में विचाराधीन है। जबकि इसी मामले में तिलैया थाना में भी दो मामला विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया था, जिसपर सीजेएम न्यायालय ने फैसला दिया। :::::::::::: बोर्ड की रवैया संदिग्ध ::::::::::::::::

पूरे में मामले में राज्य विद्युत बोर्ड की रवैया काफी संदिग्ध रहा। मामले में अंकित चौधरी ने झारखंड उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत प्राप्त कर ली थी। इसमें उसने राज्य विद्युत बोर्ड, विभाग के सहायक अभियंता ओर मेसर्स तिरुपति इंगोटस प्राइवेट लिमिटेड को विपक्षी बताने हुए अर्जी दाखिल की थी। इसमें तिरुपति इंगोट ने अंकित चौधरी के 22 चेकों के भुगतान का दायित्व लेते हुए इसे किस्तों में भुगतान का आग्रह किया था। वहीं जेएसईबी की ओर से भी उनके अधिवक्ता ने कहा था कि किस्तों में भुगतान का आग्रह बोर्ड की ओर से ठुकरा दिया गया है, फिर भी यदि तिरुपति इंगोट फिर से आवेदन दे तो बोर्ड पुनर्विचार कर सकता है। इसके बाद बोर्ड और तिरुपति इंगोट के बीच दो सप्ताह में भुगतान हेतु आवश्यक प्रक्रिया अपनाने का निर्देश देते हुए न्यायालय ने अंकित चौधरी को जमानत दे दी थी। लेकिन बकौल विभाग की ओर मामले के शिकायतकर्ता कार्यपालक अभियंता सुबोध राय के अनुसार आजतक मामले में एक रुपया भी भुगतान तिरुपति इंगोट की ओर से नहीं किया गया है। :::::::::::: चल रहा काम, फैक्ट्री का बदल गया नाम :::::::::::::::

मामले का सबसे दिलचस्प पहलु है कि जिस जमीन पर स्थापित आयरन फैक्ट्री तिरुपति इंगोट के द्वारा करीब दस वर्ष पूर्व 4.33 करोड़ का गबन किया गया, उसी जमीन पर स्थित उसी फैक्ट्री का नाम और मालिक बदल जाने से विद्युत बोर्ड ने फिर से उसे विद्युत कनेक्शन दे दिया। तिरुपति इंगोट के मालिकों द्वारा उक्त फैक्ट्री दूसरे लोगों को हस्तांतरित करने के बाद वहीं फैक्ट्री वर्तमान में प्रतीक स्टील के नाम से चल रही है। बोर्ड के उच्चाधिकारियों ने नई कंपनी के मालिकों के साथ पुरानी कंपनी के मालिकों का रक्त संबंधी नहीं होने का मामला बताकर विद्युत कनेक्शन दे दिया था।


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