विशालकाय स्वरूप के साथ पौराणिक है बरगद के पेड़ का महत्व
गजेंद्र बिहारी कोडरमा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से न जाने कित
गजेंद्र बिहारी, कोडरमा : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से न जाने कितनों की जान गई, इस बात से सभी वाकिफ हैं। वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने में पेड़-पौधों का बहुत बड़ा योगदान होता है और जब बात बरगद के पेड़ की हो तो जानकर हैरानी होगी कि बरगद का पेड़ दूसरे पेड़ों की तुलना में पांच गुना अधिक ऑक्सीजन देता है। भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी बरगद के पेड़ का पौराणिक महत्व है। 10 जून को वट सावित्री पूजा के दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना के जरिए अपने पति के दीर्घायु बनाने की कामना को लेकर व्रत करेंगी। बावजूद इसके बरगद पेड़ के विशालकाय स्वरूप के अलावा तनों और जड़ों के फैलाव के कारण लोग इसे लगाने से परहेज करते हैं। हालांकि पिछले वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण महिलाएं शारीरिक रूप से बरगद पेड़ के नजदीक गए बगैर घरों में ही गमले में बरगद की डाली रोपित कर पूजा-अर्चना की थी और इस बार भी आलम कुछ ऐसा ही है। वट सावित्री की पूजा करने वाली महिलाओं ने इसबार कोरोना महामारी में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए अपने आस-पास खाली पड़ी जमीन पर बरगद के पौधे लगाने का संकल्प ले रही हैं।
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लगातार पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं। एनएच चौड़ीकरण के नाम पर झुमरीतिलैया शहर में बरगद के कई विशालकाय पेड़ की कटाई कर दी गई है। इस वर्ष 10 जून को वट सावित्री व्रत के दिन अपने घर के पास खाली पड़े मैदान में अपने सगे-संबंधियों के साथ मिलकर बरगद के पांच पेड़ रोपित करूंगी, ताकि आसपास का वातावरण स्वच्छ हो और लोग खुले वातावरण में ऑक्सीजन लें।
सीमा सिंह, झुमरीतिलैया।
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वट सावित्री पूजा के वक्त ही हम महिलाओं को बरगद के पेड़ की याद आती है। नारी जाति के नई जिदंगी की शुरूआत से उसका संबंध बरगद के पेड़ के साथ जुड़ा होता है और महिलाएं बरगद के पेड़ में रक्षासूत्र बांधते हुए पति के दीर्घायु होने का वरदान मांगती है। लेकिन, मैं इसबार संकल्प लेती हूं कि अपने गांव के खाली पड़े भू-भाग में एक बरगद का पेड़ लगाउंगी और आने वाले हर साल वट सावित्री व्रत भी उसी बरगद के पेड़ के समक्ष करूंगी।
मधु सिंह, झुमरीतिलैया।
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पिछले साल कोरोना काल में वट सावित्री व्रत घर में बरगद की डाली को रोपित कर मनाना पड़ा था। बरगद के पेड़ की पूजा करने का अवसर नहीं मिल सका था। इसबार की परिस्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि फिर से बरगद के पेड़ के जगह उसकी डाल से ही पूजा-अर्चना कर भगवान का प्रसन्न करना पड़े्गा। लेकिन, इसबार पूजा अर्चना से पहले बरगद का पौधा लगाकर उसी की पूजा करूंगी।
अनिता मोदी, झुमरीतिलैया।