कोडरमा के ध्वजाधारी धाम में विराजेंगे ऋषि कर्दम
अनूप कुमार, कोडरमा: कोडरमा का ध्वजाधारी धाम इन दिनों दो बड़े महोत्सव को लेकर गुलजार है। यहां शुक्रवार
अनूप कुमार, कोडरमा: कोडरमा का ध्वजाधारी धाम इन दिनों दो बड़े महोत्सव को लेकर गुलजार है। यहां शुक्रवार से महाशिवरात्रि का दो दिवसीय विशाल मेला शुरू होगा। इसके तुरंत बाद सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा के मानस पुत्र ऋषि कर्दम की तपोभूमि के रूप में ख्यातिप्राप्त उक्त धाम में ऋषि कर्दम का मंदिर एवं प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी जोरशोर से चल रही है। 26 फरवरी को जलयात्रा के साथ इस यहां स्थापित मंदिर में राधाकृष्ण, कर्दम ऋषि व राम संप्रदाय के रामानंदाचार्य की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव की शुरूआत जलयात्रा के साथ होगी। परिसर में निर्मित भव्य मंदिर में तीनों की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके बाद यज्ञ आदि का कार्यक्रम 7 मार्च तक चलेगा। इस बीच हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होंगे। महोत्सव में प्रवचन देने के लिए वृंदावन से ख्यातिप्राप्त पंडित व प्रवचनकर्ता आ रहे हैं। प्रकृति की सुरम्य वादियों के बीच स्थित यह स्थल चारों ओर घने जंगलों से आच्छादित है। बीच में विशाल क्षेत्र में फैली व बादलों से टकराती ऊंची ध्वजाधारी पर्वत है। पहाड़ की तलहटी में भगवान शिव, बजरंगबली व अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है। वहीं पहाड़ की चोटी पर भी भगवान शिव व बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है। नीचे नवनिर्मित मंदिर में राधाकृष्ण, कर्दम ऋषि और स्वामी रामानंदाचार्य की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। तीनों प्रतिमा जयपुर से तैयार कर मंगाई गई है। धाम के महंत महामंडलेश्वर सुखदेव दास व पुजारी राजेश पांडेय व व्यवस्थापक मनोज कुमार झुन्नू के अनुसार पुरे भारत में कर्दम ऋषि का यह पहला मंदिर होगा।
कर्दम ऋषि की उत्पत्ति हिदू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों के अनुसार सृष्टि की रचना हेतु ब्रह्मा की छाया से मानी जाती है। इनका विवाह मनु की कन्या देवहूति से हुआ था। देवहूति ने नौ कन्याओं को जन्म दिया,जिनका विवाह प्रभापतियों से किया गया था। वहीं देवहूति के एक पुत्र के रूप में कपिल को जन्म दिया जो आगे चलकर सांख्य दर्शन के प्रवर्तक कपिलमुनि कहलाए। ::::::::::: ध्वजा व त्रिशुल चढ़ाते हैं लोग ::::::::
इलाके के लोगों की मान्यता है कि कोडरमा के ध्वजाधरी धाम में ही कर्दम ऋषि वर्षों तक तपस्या में लीन रहे थे। इन्हीं के नाम पर इलाके का नाम कालांतर में अपभ्रंश होकर कोडरमा पड़ा। यहां आदिशक्ति बाबा भोलेनाथ की पूजा विशेष रूप से होती है। यहां ध्वज व त्रिशुल चढ़ाने का विशेष महत्व है। यहां 14 कोष से लोग से शादी-विवाह, मुंडन, किसी तरह की मनोकामना पूरी होने या अन्य अवसरों पर बाबा के नाम पर पर्वत के शिखर व तलहटी पर ध्वजा व त्रिशुल चढ़ाते हैं। श्रीराम की नगरी अयोध्या के निर्माेही अखाड़ा से यहां महंत की नियुक्ति की जाती है। वर्तमान में यहां के महंत महामंडलेश्वर सुखदेवदास जी महाराज हैं।