बूढ़ी मां को सताने वाले बेटे को छोड़ना होगा घर, देने होंगे हर माह 50 हजार रुपये Kodarma News
बेटे की प्रताड़ना से आजिज मां की गुहार पर घरेलू हिंसा के मामले में झारखंड के कोडरमा की अदालत ने ऐतिहासिक आदेश दिया है। पुलिस को वृद्धा को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा गया है।
कोडरमा, जासं। घरेलू हिंसा (Domestic Violence) के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए कोडरमा के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, ईला कांडपाल की अदालत ने एक वृद्ध माता को चिकित्सीय खर्च के रूप में 50 हजार रुपये प्रतिमाह देने का आदेश उसके पुत्र को दिया है। साथ ही वृद्धा को उनके घर में सुरक्षित वापस लाने और घर से वृद्धा को बेदखल कर वहां रह रहे पुत्र व पौत्र को पीडि़ता के घर से निकलने का आदेश दिया है।
- घरेलू हिंसा के मामले में कोडरमा अदालत का ऐतिहासिक आदेश
- पुलिस को दिया गया वृद्धा को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश
- बेटे की प्रताड़ना से तंग आकर मां ने ली थी न्यायालय की शरण
मामला शहर के नामचीन व्यवसायी और समाजसेवी रहे स्व. प्रीतम सिंह कालरा के परिवार से जुड़ा है। प्रीतम सिंह कालरा की पत्नी 78 वर्षीय राजरानी ने अपने बड़े पुत्र कुलबीर सिंह कालरा व पौत्र गौतम सिंह कालरा पर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने आरोप लगाते हुए न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय में दायर याचिका में उन्होंने कहा था कि कुलबीर सिंह कालरा व गौतम सिंह कालरा उनसे अलग शहर में किराए के मकान में रहते थे। कुछ वर्ष पहले मेरे पति वृद्धावस्था के कारण कई बीमारियों से ग्रसित हो गए तो बड़े बेटे कुलबीर सिंह कालरा को पत्नी व बच्चों के साथ अपने आवास में रहने व स्वास्थ्य तथा व्यवसाय की देखभाल करने को कहा।
इसके बाद कुलबीर का पूरा परिवार साथ रहने लगा व कालरा दंपती की संपत्ति व व्यवसाय की देखभाल करने लगा। मार्च 2017 में उनके पति प्रीतम ङ्क्षसह कालरा की मौत हो गई। इसके बाद कुलबीर सिंह कालरा ने उनकी देखभाल करना छोड़ दिया और शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा। इतना ही नहीं कुलबीर ने उनके घर पर कब्जा जमा लिया और जेवरात आदि छीन लिए। उनके खाते से करीब 20 लाख रुपये की निकासी भी अलग-अलग तिथियों में कुलबीर ने कर ली।
पूरे मामले की सुनवाई के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मामला पूरी तरह से घरेलू ङ्क्षहसा का है। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि, उम्र के 80 वर्ष में एक विधवा आखिर राहत के लिए अपने पुत्र के खिलाफ कोर्ट के दरवाजे पर क्यों पहुंचेगी, जबकि वह ठीक से चल व बोल भी नहीं सकती। अंत में न्यायालय ने विपक्षियों को पीडि़ता का घर छोडऩे, घर के किसी भी हिस्से में प्रवेश नहीं करने और पीडि़ता के चिकित्सीय खर्च के लिए प्रतिमाह के 11 तारीख तक 50 हजार रुपये देने का आदेश पारित किया।
अदालत ने साथ ही पीडि़ता की सुरक्षा व आदेश का अनुपालन के लिए आदेश की प्रति स्थानीय पुलिस को भी दिए जाने का निर्देश दिया है। पीडि़ता के वकील नवल किशोर ने कहा कि न्यायालय का यह आदेश जिले के लिए ऐतिहासिक है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप