गोशाला की करोड़ों की संपत्ति फिर भी गोमाता चारा-पानी को मोहताज
जागरण संवाददाता कोडरमा गोशाला के करोड़ों की जमीन पर दबंगों के कब्जे के कारण यदुट
जागरण संवाददाता, कोडरमा : गोशाला के करोड़ों की जमीन पर दबंगों के कब्जे के कारण यदुटांड़ स्थित श्री कोडरमा गोशाला में मौजूद तीन सौ गायों के सामने चारा-पानी की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। गोशाला समिति के लोग शहर के गो सेवकों के सहयोग से काफी मुश्किल से यहां मौजूद बुढ़ी, बीमार, दुधारू व गैर दुधारू गायों के लिए चारे का प्रबंध कर रहे हैं। जबकि गायों के सेवा व चारा-पानी के लिए लोगों द्वारा दिए समिति के पास 36 एकड़ 54 डिसमिल जमीन है, जिसमें कोडरमा रेलवे स्टेशन के पास बेशकीमती 54 डिसमिल जमीन भी शामिल है, लेकिन अधिकतर जमीन दबंगों के कब्जे में है और गो माता चारा-पानी के लिए बेहाल है। यहां तक की दबंगों ने गोशाला समिति में भी कब्जा कर रखा है और वे गोशाला परिसर में किसी तरह के निर्माण का विरोध करते हैं। इन्हीं के विरोध के कारण झारखंड गोसेवा आयोग द्वारा चार वर्ष पूर्व शेड निर्माण के लिए मिले 11 लाख रुपये का उपयोग नहीं हो सका। यह राशि कुल 45 लाख रुपये के अनुदान की पहली किस्त थी। पहली किस्त का इस्तेमाल नहीं होने से शेष 34 लाख रुपये भी नहीं मिले। मुख्य गोशाला परिसर 22 एकड़ जमीन पर है, लेकिन घेराबंदी सिर्फ पांच एकड़ में ही है, शेष 17 एकड़ जमीन दबंगों के कब्जे में है। इसी तरह बीच शहर में कोडरमा स्टेशन के सामने समिति की करीब 54 डिसमिल जमीन पर भी दबंगों का कब्जा है। न्यायालय के आदेश से दो-दो बार परिसर को खाली कराया गया, लेकिन बाद में फिर से लोग काबिज हो गए। इस जमीन पर मार्केट कांप्लेक्स का निर्माण कर गोशाला के लिए स्थायी आमदनी की योजना थी, जो वर्षों से अबतक धरी पड़ी है। इसी तरह विशनपुर रोड में करीब 14 एकड़ बेशकीमती जमीन पर कई लोगों की नजर गड़ी है। समिति के आंतरिक मतभेदों के कारण इस जमीन से भी कोई आमदनी नहीं हो पा रही है। 300 में मात्र 30 गाय ही दुधारू गोशला परिसर में मौजूद करीब 300 गोवंशीय पशुओं में मात्र 30 ही दुधारू हैं। जबकि शेष गायें दूध नहीं देतीं। इन दुधारू गायों से करीब 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिससे समिति को करीब 5 हजार रुपये प्रतिदिन की आमदनी होती है। समिति के मैनेजर पवन सिंह के अनुसार प्रतिमाह पशुओं के लिए आहार में करीब 3 लाख रुपये खर्च होते हैं। जबकि 1.41 लाख रुपये गायों की देखभाल के लिए मौजूद करीब 20 कर्मियों के वेतन में खर्च होते हैं। आमदनी में करीब 1.5 लाख की आमदनी दूध बिक्री से होती है और करीब 15-20 हजार दानपेटी से प्राप्त होते हैं। शेष खर्च समिति के सदस्य चंदा आदि जुटाकर करते हैं। वहीं समिति के कार्यकारी सचिव रामरतन महर्षि ने बताया कि समय के साथ गोशाला का खर्च उठाना काफी मुश्किल हो रहा है। गोशाला के फिक्सड पूंजी तोड़नी पड़ रही है। जमीनों पर दबंगों द्वारा विवाद के कारण आय के स्त्रोत बढ़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में आनेवाले समय में गोशाला का संचालन काफी मुश्किल होगा। इसपर प्रशासनिक अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है।