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Lok Sabha Polls 2019: जातीय गोलबंदी गौण, यहां क्षेत्रीय मुद्दे हो रहे हावी

Lok Sabha Polls 2019. इस बार के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक उथल-पुथल का असर गांवों में भी दिख रहा है। जातीय गोलबंदी गौण है जबकि क्षेत्रीय समस्याएं हावी हो रही हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 07:29 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 07:29 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: जातीय गोलबंदी गौण, यहां क्षेत्रीय मुद्दे हो रहे हावी
Lok Sabha Polls 2019: जातीय गोलबंदी गौण, यहां क्षेत्रीय मुद्दे हो रहे हावी

कोडरमा, [जेएनएन]। इस बार के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक उथल-पुथल का असर गांवों में भी दिख रहा है। जातीय गोलबंदी गौण है, जबकि क्षेत्रीय समस्याएं हावी हो रही हैं। पूर्व में शायद ही कोडरमा क्षेत्र में इस तरह की स्थिति बनती थी। लेकिन इस बार सशक्त विपक्ष की भूमिका में रहने वाले राजद के अधिकांश कार्यकर्ताओं की भाजपा में आने के बाद स्थिति बदल गई है।

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अब नेताओं को जनमुद्दों को लेकर वोटरों का आक्रोश झेलना पड़ रहा है। जनता भी अब मुखर हो रही है। पूर्व के चुनावों में जातीय गणित काफी असरदार रहा है। मरकच्चो, जयनगर से लेकर अन्य क्षेत्रों में नेताओं को वोटरों के सवालों से दो-चार होना पड़ रहा है। जयनगर में सड़क जैसी समस्या जनता की परेशानी का मुख्य कारण है। पिछले पांच वर्षों में आश्वासनों के बाद भी मुख्य सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाई है।

ऐसे में क्षेत्र की जनता नेताओं के समक्ष खुलकर नाराजगी व्यक्त कर रही है। स्थानीय ग्रामीण महेश सिंह के अनुसार चुनाव के वक्त नेता जितना सक्रियता दिखाते हैं, यदि अपने कार्यकाल में भी उतना सक्रिय रहें तो जनता की हर परेशानी दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आम आवाम को ज्यादा नहीं, बस मूलभूत सुविधाएं चाहिए, वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।

वहीं मरकच्चो की बात की जाए तो मुख्य बाजार ही गंदगी से पटा रहता है। जबकि गांवों में पेयजल, आवागमन के लिए अच्छी सड़क की गंभीर समस्या है। उम्मीदवारों के गांवों पहुंचने पर जनता उनसे सीधा सवाल कर रही है। जनता के सवालों पर प्रतिनिधि भी चुप्पी साध रहे हैं। मरकच्चो निवासी हरी साव के अनुसार, ग्रामीण विकास की स्थिति बेहतर नहीं है।

लोगों को गैस चूल्हा, विद्युत देने से समस्याएं समाप्त नहीं हो सकती है। रोजगार के साथ-साथ जरूरी मूलभूत संसाधन समय-समय पर बहाल की जानी चाहिए। विकास कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग से ही व्यवस्था में बदलाव आ सकता है। लेकिन उम्मीदवार केवल चुनाव के वक्त ही ऐसा आश्वासन देते हैं। बाद में गांवों में आना-जाना तक नहीं होता है। यह हाल डोमचांच, सतगावां व कोडरमा प्रखंड में भी आम है।

इन प्रखंडों के पिछड़े गांवों की स्थिति आज भी बेहाल है। सतगावां से राजावर को जोडऩे वाली सड़क पिछले चार-वर्षों से नहीं बन पाई है। इलाके में बेरोजगारी भी गंभीर समस्या के रूप में लोगों के समक्ष खड़ा है। ऐसे में लोगों का कहना है कि सिर्फ भाषण व आश्वासन से काम नहीं चलने वाला। क्षेत्र की समस्याएं को दूर करना प्राथमिकता होनी चाहिए।


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