एक लाख को देंगे रोजगार, 12वीं तक बच्चियों को अनिवार्य शिक्षा: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड को बाल बाल श्रम मुक्त प्रदेश बनाने के लिए सरकार कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगी।
कोडरमा, जेएनएन। झारखंड सरकार राज्य में बच्चियों के लिए 12वीं तक की शिक्षा अनिवार्य करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए सभी सहयोगी दलों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों से समन्वय बनाकर विधेयक लाया जाएगा। उक्त बातें सुबह के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रविवार को कोडरमा के बागीतांड स्टेडियम में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के तत्वावधान में रआयोजित बाल अधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड को बाल श्रम मुक्त प्रदेश बनाने के लिए सरकार कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगी। उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है। देश के दूसरे प्रदेशों में झारखंड की पहचान बाल श्रम एवं महिला श्रम के लिए होती है, जो यहां के लिए बहुत बड़ा धब्बा है। उन्होंने कहा कि बच्चों का सर्वांगीण विकास सरकार के साथ साथ समाज की जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी को आगे आकर भागीदारी निभानी होगी। इससे पूर्व कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के द्वारा कोडरमा जिले के 126 बालमित्र गांव के संयोजकों को उन्होंने 500 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि सरकार की ओर से देने का एलान किया। साथ ही, उन्होंने झारखंड में बाल श्रम के खिलाफ कानून को और भी मजबूती से लागू करने की बात कही।
उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी गरीबी की कोख से पैदा लेती है। इसलिए सरकार गरीबों को जरूरतमंदों को रोजगार देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। स्किल डेवलपमेंट के तहत बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने और हजारों युवकों को सरकारी नौकरी देने का कार्य पिछले 4 वर्षों में कर चुकी है। आने वाले 12 जनवरी को सरकार एक लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखी है। इनमें से 35000 को अब तक रोजगार मुहैया कराया जा चुका है।
इससे पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के प्रमुख कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि उनके नोबेल पुरस्कार में कोडरमा व झारखंड का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह कोडरमा में बाल श्रम मुक्त करने की दिशा में उनके प्रयासों का एक बड़ा प्रतिफल है। एक दशक पूर्व उन्होंने यहां के माइका खदानों से निकालकर सैकड़ों लोगों को बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराने की दिशा में फाउंडेशन के कार्यों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोडरमा एवं झारखंड की पहचान पूर्व में बाल मजदूरी के बहुत बड़े क्षेत्र के रूप में होती थी। कालांतर में विभिन्न संगठनों जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के प्रयासों से इस में कमी आई है, लेकिन सफर अभी और भी तय करना है। उन्होंने कहां के झारखंड सरकार के द्वारा बाल श्रम मुक्ति के हर प्रयासों में कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगा।
इससे पूर्व राज्य सरकार के श्रम सचिव राजीव वर्मा और कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन एक्सक्यूटिव डायरेक्टर मालती के बीच झारखंड को बाल श्रम मुक्त बनाने की दिशा में एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। कार्यक्रम को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष मयंक कानूनगो ने भी संबोधित करते हुए फाउंडेशन के कार्य एवं केंद्र सरकार के प्रयासों और विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। मौके पर स्थानीय विधायक से सुबह की शिक्षा मंत्री डॉक्टर नीरा यादव, विधायक जानकी यादव, विधायक मनोज कुमार यादव, कोडरमा के डीसी, एसपी उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त सुरेंद्र कुमार सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे।