जल संरक्षण से बेकार पड़े खेतों में भी होगी खेती
हमारे देश में हजारों साल से जल सरंक्षण किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से जलसंचयन का कार्य बंद था जिस कारण परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं। झारखंड में अधिकांशत ढलाव वाली जमीन है।
खूंटी : हमारे देश में हजारों साल से जल सरंक्षण किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से जलसंचयन का कार्य बंद था। इस कारण परेशानियां उत्पन्न हो रही हैं। झारखंड में अधिकांशत: ढलाव वाली जमीन है, जिस कारण जल का ठहराव नहीं होता है। इसी कारण पानी रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। यह बात जलछाजन के सीईओ आर. थंगा पंडयन ने कही। वे शुक्रवार को जल शक्ति अभियान को लेकर स्थानीय नगर भवन में ग्रामीण विकास विभाग के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व कार्यशाला का उद्घाटन डीडीसी अरविद कुमार मिश्रा तथा जल छाजन के सीईओ आर. थंगा पंड्यन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। आर. थंगा पंड्यन ने कहा कि खेत का पानी खेत में रहने पर शत-प्रतिशत खेती होगी। जल सरंक्षण से बेकार पड़े खेतों में भी खेती हो सकेगी। खेतों को खाली न छोड़ें, खेती न कर पाने की स्थिति में घास या पेड़ लगा दें। डीडीसी अरविद कुमार मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय मे जल संकट को देखते हुए हर स्तर पर जल को बचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के लिए आम लोगों को जागरूक करना होगा, ताकि सरकार के साथ-साथ आम लोगों की सहभागिता भी इस अभियान के माध्यम से कराकर लोगों को जल संचय के लिए प्रेरित किया जा सके। कार्यशाला को आइटीडीए परियोजना निदेशक भीष्म कुमार ने भी संबोधित किया।