खूटी में पत्थलगड़ी समर्थकों व पुलिस के बीच हिंसक झड़प, अगवा सुरक्षाकर्मियों का सुराग नहीं
पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा तीन जवानों के अपहरण के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जवानों की तलाश में खूंटी के घाघरा गांव में कारगर कार्रवाई की।
जागरण टीम, रांची। खूंटी में सांसद कडि़या मुंडा के आवास से मंगलवार को पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा तीन जवानों के अपहरण के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जवानों की तलाश में खूंटी के घाघरा गांव में कारगर कार्रवाई की। हजारों की संख्या में जुटे पत्थलगड़ी समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागे, रबर बुलेट चलाई। उधर, पत्थलगड़ी समर्थकों ने भी तीर-धनुष व पारंपरिक हथियार से पुलिस पर हमला किया। हिंसक पत्थलगड़ी समर्थकों पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। जिसमें एक पत्थलगड़ी समर्थक की मौत हो गई। जबकि आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी व दो दर्जन पत्थलगड़ी समर्थक घायल हो गए।
100 से अधिकपत्थलगड़ी समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लिया, इनमें से अधिकतर को देर शाम पीआर बांड पर छोड़ दिया गया है। वहीं, अपहृत जवानों के रिहाई को लेकर बुधवार देर रात तक ऊहापोह की स्थिति रही। सांसद कडि़या मुंडा के बेटे ने जहां जवानों के पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा छोड़े जाने की बात कही, वहीं डीआइजी एवी होमकर व खूंटी एसपी ने रिहाई से इन्कार करते हुए इसे अफवाह बताया। उनका कहना था कि जब तक जवान आ नहीं जाते तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता।
रातभर डटे रहे पुलिस-पत्थलगड़ी समर्थक
पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा मंगलवार की शाम करीब चार बजे से ही अगवा किए गए तीनों जवानों की तलाश में खूंटी के उपायुक्त सूरज कुमार व एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा, रैपिड एक्शन पुलिस (रैप), पहाडि़या बटालियन व जिला पुलिस के महिला-पुरुष सिपाहियों के साथ घाघरा गांव पहुंच गए थे। गांव के बाहर ही सैकड़ों पत्थलगड़ी समर्थकों ने घेराबंदी कर रखी थी, जिसके कारण 100 मीटर पीछे ही पुलिस को रुकना पड़ा। पत्थलगड़ी समर्थक डीसी-एसपी सहित पांच प्रतिनिधिमंडल को समझौते के लिए बुला रहे थे, लेकिन पुलिस इस बात पर अड़ी हुई थी कि जब तक जवानों को नहीं छोड़ेंगे, तब तक वे किसी तरह की बात नहीं करेंगे। मंगलवार की रात से बुधवार की सुबह करीब सात बजे तक पुलिस व पत्थलगड़ी समर्थक आमने-सामने डटे रहे। दोनों के बीच करीब 100 मीटर का फासला था। रातभर खूंटी के डीसी, एसपी, एएसपी, एसडीपीओ आदि मौके पर ही जमे रहे।
सुबह होते ही कार्रवाई
बुधवार की सुबह करीब सात बजे सीआरपीएफ की रैपिड एक्शन फोर्स (रैप) की एक कंपनी मौके पर पहुंच गई। वहां पहले से ही रैप, पहाडि़या बटालियन व जिला बल के जवान मोर्चा संभाले हुए थे। घाघरा गांव को घेरने का प्लान तैयार था, क्योंकि दूसरी तरफ से रांची के ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग के नेतृत्व में सीआरपीएफ के जवानों ने तमाड़ के रास्ते से गांव को घेरने के लिए अपना घेरा मजबूत किया था। चेतावनी के बाद भी ग्राम सभा नहीं मानी तो पुलिस गांव में बुलंद इरादे के साथ घुस गई।
नहीं मिला जवानों का सुराग
घाघरा गांव के चौतरफा घेराबंदी व पुलिसिया कार्रवाई में 100 से अधिक पुरुष हिरासत में लिए गए। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ा दिया गया। अपहृत जवानों का कोई अता-पता नहीं चला तो गांव के एक-एक घर की तलाशी ली गई। इसके बावजूद जवानों का कुछ पता नहीं चल सका है।
सुबह तक गांव में ही थे अपहृत जवान
हिरासत में लिए गए पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपहृत तीनों जवानों के गांव के स्कूल में रखे जाने की जानकारी दी, लेकिन जवान वहां नहीं मिले। पुलिस की छानबीन में पता चला कि सुबह तक पत्थलगड़ी नेताओं ने जवानों को घाघरा में ही रखा था, लेकिन उन्हें आभास हुआ कि पुलिस सख्त कदम उठा सकती है, सभी जवानों को गांव से कहीं अन्यत्र लेकर चले गए।