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Lok Sabha Polls 2019: एक-एक कर बंद हो गई सारी फैक्ट्रियां, रोजगार के लिए पलायन मजबूरी

Lok Sabha Polls 2019. उद्योग-धंधों के मामले में खूंटी जिला फिसड्डी है। हाल के वर्षों में लोगों को रोजगार देने वाली कई औद्योगिक इकाइयों का विकास नहीं किया गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 01:10 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 01:10 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: एक-एक कर बंद हो गई सारी फैक्ट्रियां, रोजगार के लिए पलायन मजबूरी
Lok Sabha Polls 2019: एक-एक कर बंद हो गई सारी फैक्ट्रियां, रोजगार के लिए पलायन मजबूरी

खूंटी, जागरण संवाददाता। उद्योग-धंधों के मामले में खूंटी जिला फिसड्डी है। हाल के वर्षों में लोगों को रोजगार देने वाली कई औद्योगिक इकाइयों का विकास नहीं किया गया है। लाह की कई बड़ी-बड़ी कंपनियां बंद हो चुकी हैं। रोजगार के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 50 हजार लोग जिले से पलायन कर जाते हैं। खेती के अलावा रोजगार का कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं। जिले में लाह का उत्पादन अच्छा होता है।

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इस पर आधारित कई फैक्ट्रियां चल रही थीं। एक के बाद एक सारी कंपनियां बंद होती गईं। युवाओं के हाथ बेकार होने लगे। फिर शुरू हुआ पलायन का सिलसिला। अच्छु राम केलकॉफ कंपनी जर्मनी के कोलाबोरेशन से चल रही थी। 800 कर्मचारी दिन-रात काम करते थे। लेकिन, 1997 में यह बंद हो गई। कर्मचारी सड़क पर आ गए। बद्र्धन ब्रदर्स एवं कनोडिया ओवरसीज कंपनी भी बंद हो गई। इस कारण एक हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गए।

एस्सार इन कॉरपोरेशन नामक कंपनी भी बंद हो गई। इस प्रकार कंपनियां तो बंद होती गईं, लेकिन इनकी जगह नई कंपनियां नहीं लगाई गईं। इन कंपनियों के बंद होने के पीछे कई कारण रहे। कुछ सरकार की गलत नीतियों का शिकार हुईं तो कुछ को उग्रवादियों के खौफ के कारण अपना धंधा समेटना पड़ा। क्षेत्र में लाह का उत्पादन अच्छा खासा होता है। अभी यहां से लाह बलरामपुर (पश्चिम बंगाल) भेजा जाता है।

यदि यहां लौह उत्पादन का बड़े पैमाने पर प्लांट लगा दिया जाए तो यहां के बेरोजगारों को काम मिल सकता है। यहां की भोली-भाली जनता जात-पात की राजनीति में ही उलझी रही और नेताओं ने भी कम होते रोजगार को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया। अब यहां लाह की कुछ ही फैक्ट्रियां रुक-रुककर चल रही हैं। हुनरमंद कर्मचारी भी दिहाड़ी मजदूर बनकर दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके हैं।

जिले में उद्योग के क्षेत्र में संभावनाएं

खूंटी जिले में लाह, लकड़ी एवं बांस आधारित उद्योगों का विकास किया जा सकता है। जिले में तीनों की बहुतायत है। लोगों में हुनर भी है। लोगों को प्रशिक्षित कर एवं उन्हें पूंजी देकर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है। यहां धान की भी अच्छी फसल होती है। लेकिन राइस मिल रांची में है। यहां के किसानों से बिचौलिए औने-पौने दाम में धान खरीदकर रांची ले जाते हैं। यहां के लोगों को न तो धान का उचित मूल्य मिल पाता है और न ही रोजगार।

फूड एवं वनोत्पाद के क्षेत्र में छोटे-छोटे उद्योग लगाकर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। युवाओं को प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाने की जरूरत है। साथ ही बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए फैक्ट्रियां लगाने की आवश्यकता है। -पंचू महतो, प्राचार्य, आइडल हाई स्कूल, खूंटी।

सरकार को चिंतन करना होगा कि यहां के युवाओं को कैसे रोजगार मिल सके। कंपनियों के बंद होने के कारणों की पड़ताल जरूरी है। सरकार को छोटे उद्योगों को संरक्षित करना चाहिए। साथ ही लोगों में स्किल डेवलप कर उन्हें रोजगार से जोडऩा चाहिए। -प्रभाषचंद जायसवाल, प्रो. इंडियन शेलैक इंडस्ट्री, खूंटी।

औद्योगिक इकाइयां बंद होने से जिले में व्यवसाय पर भी असर पड़ा है। लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की राह पकड़ रहे हैं। साथ ही बेरोजगारी एवं गरीबी के कारण उनकी क्रय क्षमता भी काफी कम हो जाती है। इस पर चिंतन करने की जरूरत है। -ताज अंसारी, व्यवसायी।


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