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Lok Sabha Polls 2019: यहां आएंगे मेहमान तो बढ़ेगी हमारी शान

Lok Sabha Polls 2019. खूंटी जिले को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है। यहां पर्यटन के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन इसके विकास के लिए किसी ने अपेक्षित पहल नहीं की।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 02:24 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 02:24 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: यहां आएंगे मेहमान तो बढ़ेगी हमारी शान
Lok Sabha Polls 2019: यहां आएंगे मेहमान तो बढ़ेगी हमारी शान

खूंटी, [कंचन कुमार]। खूंटी जिले को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है। यहां पर्यटन के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन यहां इस क्षेत्र में विकास के लिए अपेक्षित पहल नहीं की गई है। पर्यटन क्षेत्रों का विकास होने पर युवाओं को रोजगार उपलब्ध होता, यहां की युवा पीढ़ी रोजगार के लिए बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लिए पलायन करती है। जिले में पर्यटन स्थलों की भरमार है।

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यहां एक से बढ़कर एक फॉल, डैम एवं आम्रेश्वर धाम जैसे ख्यात धार्मिक स्थल हैं। पंचघाघ एवं पेरवाघाघ जलप्रपात, रानी फॉल, तजना नदी जैसे स्थल की प्राकृतिक छटा सैलानियों को अपनी ओर खींच लाती है। फुदकते मृग के झुंड को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दूर से आते हैं। जबकि बाबा आम्रेश्वर धाम का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसे मिनी बाबाधाम कहा जाता है।

यदि इन स्थलों का विकास किया जाए तो क्षेत्र में खुशहाली आ जाएगी। लोगों को रोजगार मिलेगा। आने वाले मेहमानों (सैलानियों) की संख्या बढऩे से क्षेत्र की ख्याति बढऩे के साथ लोगों के शान-ओ-शौकत में भी वृद्धि होगी। इस दिशा में पहल कर क्षेत्र में समृद्धि लाई जा सकती है। जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूरी पर है मुरहू का पंचघाघ जलप्रपात। ऊंचे पहाड़ एवं साल वृक्षों के से घिरा यह अत्यंत मनोरम स्थल है।

प्राकृतिक सुंदरता के तराने छेड़ते झरने एवं दूर-दूर तक फैले पेड़ों पर चिडिय़ों की चहचहाहट सुन सैलानियों के पांव यहां बरबस ही ठहर जाते हैं। लेकिन इस स्थल की हालत बदतर हो रही है। छोटे-छोटे बने संकीर्ण ब्रिज की रेलिंग पूर्णत: जर्जर होकर ढह गई है। पीने का पानी व शौचालय की व्यवस्था नहीं है। बने हुए शौचालयों में ताले लटके रहते हैं। यहां सैलानियों के ठहरने के लिए व्यवस्था की जा सकती है। 

तोरपा के पेरवाघाघ की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। नीले पानी के कारण इस जलप्रपात की अलग ही पहचान है। जनवरी माह में यहां कई राज्यों से पर्यटक पहुंचते हैं। मुखिया पुष्पा गुडिय़ा, तपकरा की सुदीप गुडिय़ा एवं कमेटी सदस्य जय सिंह आदि का कहना है कि पर्यटन स्थल के रूप में इस क्षेत्र को सुविधाओं से लैस कर दिया जाए तो यहां पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या में कई गुणा की वृद्धि हो सकती है।

आसपास होटल तथा बाजार का विकास होगा। साथ ही वाहनों का परिचालन भी काफी संख्या में बढ़ेगा। रोजगार के साधन बढ़ेंगे। इस दिशा में पहल करने की जरूरत है। बाबा आम्रेश्वर धाम में बाबा पर जलाभिषेक के लिए कई राज्यों के श्रद्धालु कांवर लेकर पहुंचते हैं। इसे मिनी बाबाधाम कहा जाता है। फिर भी यहां सुविधाएं नगण्य हैं। यहां विकास की बड़ी संभावनाएं हैं।

बिरसा मृग विहार की देख-रेख कुछ हद तक ठीक-ठाक है। लेकिन यहां भी सैलानियों के ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। प्राकृतिक रूप से इतने समृद्ध होने के बाद भी पर्यटन स्थलों का अपेक्षित विकास नहीं होने के कारण जिले के लोगों को पलायन का दंश झेलना पड़ रहा है।

कहते हैं लोग

यहां की प्राकृतिक छटा सचमुच निराली है। लोगों को सुकून मिलता है। झरना को प्राकृतिक रूप में ही छोड़ देना चाहिए। क्षेत्र का विकास करना जरूरी है, ताकि दूर से आए लोगों को सुविधाएं मिल सके। -संजय अग्रवाल, डोरंडा, रांची

अभी पर्यटकों के आने का मौसम नहीं है। तब भी छुट्टी के दिन 8-10 गाडिय़ां आ जाती हैं। आनेवाले ज्यादातर लोग बाहर के होते हैं। आसपास में उपयुक्त बाजार नहीं होने के कारण उन्हें परेशानी होती है। -संजय रोडरा, सचिव, पर्यटन विभाग 

बाबा आम्रेश्वर धाम में दूर-दूर से लोग पूजा करने पहुंचते हैं। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है। इस क्षेत्र का विकास प्राथमिकता के तौर पर किया जाना चाहिए। -रोहित कुमार।

बाबा आम्रेश्वर धाम के विकास के लिए मंदिर की जमीन कम पड़ रही है। जमीन की तलाश की जा रही है। झारखंड हिंदू न्यास बोर्ड से इसे पर्यटन स्थल का दर्जा मिल चुका है। विकास का काम जारी है। -मनोज कुमार, सदस्य, मंदिर संचालन समिति।


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