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इमली का केक बढ़ा रहा जीवन में खुशियां

यहां प्रतिदिन एक सौ केजी केक तैयार होता है। इससे आसपास गांव की सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिला है।

By Edited By: Published: Wed, 23 May 2018 02:49 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 11:00 AM (IST)
इमली का केक बढ़ा रहा जीवन में खुशियां
इमली का केक बढ़ा रहा जीवन में खुशियां

प्रेम किशोर, खूंटी। खूंटी की इमली की खटाई चेन्नई और महाराष्ट्र जैसे महानगरों को खूब भा रही है। यही कारण है कि यहां से रोजाना सैकड़ों किलो इमली का केक महानगरों में भेजा जा रहा है। इमली का प्रोसेसिंग प्लांट कालामाटी में है, जहां ग्रामीण महिलाएं केक तैयार करतीं हैं। प्रतिदिन एक सौ केजी केक तैयार होता है। इससे आसपास गांव की सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिला है। इससे उनके घर में खुशियां आ रही हैं। क्षेत्र के किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं। गांव में ही उत्पादक समूह ग्रामीणों से इमली खरीद लेता है और इमली को प्रोसेसिंग प्लांट भेज देता है। प्रोसेसिंग प्लांट झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसाइटी और महिला विकास सशक्तीकरण प्रोजेक्ट के तहत संचालित है।

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महिलाएं करतीं हैं छिलका, रेसा और बीज निकालने का काम
जिले के कई प्रखंडों में वन क्षेत्र में हजारों इमली और लाह के पेड़ हैं। यहां की इमली खट्टी के साथ मीठी भी है। ग्रामीण पहले इमली को तोड़कर बाजार में बेचते थे। व्यापारी कम कीमत में ग्रामीणों से इमली खरीदकर ऊंचे दाम में बाहर भेजते थे। लेकिन, जिले में इमली प्रोसेसिंग प्लांट खुल जाने से किसानों को बाजार में बेचने नहीं जाना पड़ रहा है। उन्हें उनके गांव में ही सही कीमत मिल जाती है। इसके साथ ही महिला समूह को इस प्रोसेसिंग प्लांट में काम मिल रहा है। कई ग्रुप में महिलाएं यहां पर प्रति दिन इमली से छिलका, रेसा और बीज निकलने का काम करती हैं। इसके बाद प्रोसेसिंग प्लांट में इमली का केक बनाया जाता है। प्रोसेसिंग प्लांट में केक तैयारी का काम भी महिलाएं ही करती हैं। इससे होने वाले लाभ भी सीधे तौर पर महिला समूह को मिल रहा है। यहां पर तैयार इमली का केक बड़े शहरों में जैसे चेन्नई, महाराष्ट्र व कोलकाता आदि शहरों में भेजा जा रहा है।

महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में प्लांट मददगार
महिला समूह की अध्यक्ष अगुस्टीन होरा ने बताया कि महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में यह प्लांट बहुत ही मददगार साबित हो रहा है। प्लांट का शुभारंभ ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने किया था। प्लांट शुरू होने से इस क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिल गया है। महिला प्रोसेसिंग प्लांट में भी काम कर सकती हैं या अपने घर में भी इमली का रेसा, बीज और छिलका निकालने का काम कर सकती हैं। बहुत सी महिलाएं जो पहले रेजा-कुली का काम करती थी, वे सब अब इस प्लांट से जुड़कर रोजगार पा रही हैं। महिलाओं को 10 रुपये केजी इमली का छिलका निकालने का मिलता है। यदि वे अपने घर पर करना चाहती हैं, तो उसे पांच रुपये किलो दिया जाता है। एक महिला एक दिन में 25 से 30 केजी तक इमली का छिलका निकाल लेती हैं।

सात लाख की लागत से तैयार हुआ प्लांट
ब्लॉक कोऑर्डिनेटर सूरज पूर्ति ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग एवं जेएसएलपीएस ने सात लाख की लागत प्रोसेसिंग प्लांट तैयार किया है। ग्रामीण महिला समूह को इसमें सीधे जोड़ा गया है। इसमें जो भी फायदा होगा उसकी राशि बोनस के रूप में महिला समूह को दिया जाता है। इमली से सिर्फ केक ही नहीं इसका छिलका, बीज और रेसा सभी चीजें बिक जाती हैं। इससे भी महिला समूह का आमदनी हो रही है।

क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं का मिला काम
प्रखंड विकास पदाधिकारी सुचित्रा ने कहा कि प्लांट के शुरू होने से इस क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं को काम मिल गया है। महिलाएं भी काफी खुश है कि उन्हें गांव में ही काम मिल गया है। पहले यहां की महिलाएं काम के लिए रांची जाती थीं, लेकिन इस प्रोसेसिंग प्लांट खुलने से महिलाए अब कही नहीं जाती हैं। आने वाले समय में लैमन ग्रास प्लांट भी लगाया जाएगा। इस प्लांट में यहां के ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। यह ग्रामीण विकास विभाग और जेएसएलपीएस द्वारा संचालित है।


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