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जहां लहलहाती थी अफीम की फसल, वहां फैली लेमन ग्रास की खुशबू

उग्रवाद और पत्थलगड़ी के लिए बदनाम खूंटी में अब लेमन ग्रास की फसल लहलहा रही है।

By Edited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 11:00 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 03:33 PM (IST)
जहां लहलहाती थी अफीम की फसल, वहां फैली लेमन ग्रास की खुशबू
जहां लहलहाती थी अफीम की फसल, वहां फैली लेमन ग्रास की खुशबू

खूंटी। अफीम, उग्रवाद और पत्थलगड़ी के लिए बदनाम खूंटी में अब लेमन ग्रास की फसल लहलहा रही है। मूलत: महिलाएं ही इस मोर्चे पर काम कर रही हैं। एक साल से इसकी खेती शुरू हुई है। लेमन ग्रास महिलाओं की जिंदगी में भी हरियाली और खुशबू ला रही है। जिन बंजर जमीनों की तरफ लोगों की नजर नहीं जाती थी आज वह जमीन सोना उगल रही है। एक एकड़ जमीन से साल में करीब एक लाख रुपये की कमाई हो रही है। न पानी की जरूरत न जानवरों के खाने का डर लेमन ग्रास को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं। इसे जानवर भी नहीं खाते। ऐसे में खूंटी के पठारी इलाकों के लिए यह माकूल है। पठारी इलाकों में सिंचाई, बड़ी समस्या रही है। सिंचाई का साधन नहीं होने से सैकड़ों एकड़ बंजर भूमि यू ही पड़ी रह जाती है। अब इन बंजर जमीनों के दिन फिर रहे हैं। लेमन ग्रास की फसल लहलहाने लगी है।

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हर साल चार बार, पांच साल तक ले सकते हैं फसल
लेमन ग्रास की खासियत यह भी है कि एक बार पौधे के बड़े होने पर पांच सालों तक क्रॉपिंग की जाती है। और हर साल चार बार क्रॉपिंग कर सकते हैं। एक एकड़ में सालाना करीब एक लाख रुपये की फसल निकल जाती है। खूंटी और रनिया प्रखंड के कोई डेढ़ सौ एकड़ में इसकी खेती हो रही है। दस महिला समूहों द्वारा काम किया जा रहा है। हर समूह में आठ से 12 महिलाएं।

पत्ती के साथ तेल भी
लेमन ग्रास की चाय की पत्ती की तरह कटिंग कर पैकिंग की जाती है। लेमन ग्रास से तेल तैयार होता है। उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने में जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) से महिला समूहों को मदद मिलती है। सोसाइटी के अनुसार, चाय की तरह इस्तेमाल करने के साथ-साथ साबुन, परफ्यूम, फ्लोर क्लीन आदि के निर्माण में इसका उपयोग होता है। तेल को मल्ट्रीब्रांड कंपनियां खरीद लेती हैं। साथ ही, लेमन ग्रास की पत्तियों की भी पैकिंग कर इन्हें बाजार में उतारा जाता है।

प्रोसेसिंग प्लांट से मिली मदद
जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूरी पर लेमन ग्रास के प्रोसेसिंग प्लांट की कुछ माह पहले शुरुआत हुई है। इस प्लांट में लेमन ग्रास से तेल निकाला जाता है। इस यूनिट ने लेमन ग्रास की मांग बढ़ा दी है। नतीजा है कि खूंटी के दूसरे इलाकों में भी लेमन ग्रास की खेती पर काम शुरू हो गया है। जरूरत है तो पत्तियों की कटिंग करने की यूनिट लगाने की।

जानें, क्या कहती हैं महिलाएं
महिला समूह की सुगिया देवी, ललिता देवी, लक्ष्मी कुमारी, वीणा देवी सहित कई महिलाओं ने कहा कि लेमन ग्रास खेती के लिए हमलोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। जेएसएलपीएस के सहयोग और प्रोत्साहन से हमारा कारोबार बढ़ रहा है। अनिगड़ा में हमलोगों ने लेमन ग्रास की खेती की है, गुटजोरा में भी खेती हो रही है।

जानें, क्या कहते हैं ब्लॉक कोआर्डिनेटर
जेएसएलपीएस के ब्लॉक कोआर्डिनेटर सूरज पूर्ति ने कहा कि यहां बहुत सी जमीन सिंचाई के अभाव परती पड़ी रह जाती हैं। जेएसएलपीएस द्वारा महिला समूह को यहां पर लेमन ग्रास की खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया था। इसके बाद महिला समूह खेती से जुड़ गया। जेएसएलपीएस इसके द्वारा तैयार लेमन ग्रास को मार्केट लिंक करा देता है। इससे महिला समूहों को लाभ होता है।


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