Lok Sabha Polls 2019: सत्ता उसी को, जिसे हम युवा पसंद करेंगे
Lok Sabha Polls 2019. इन दिनों हर तरफ लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा चल रही है। फिर चाहे आप चाय की दुकान पर हों किसी सफर में या किसी बैठकी में।
तोरपा (खूंटी), [सुनील सोनी]। इन दिनों हर तरफ लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा चल रही है। फिर चाहे आप चाय की दुकान पर हों, किसी सफर में या किसी बैठकी में। चुनाव मुद्दों पर चर्चा जोर-शोर से चल रही है। आम जनता का मूड भांपने के लिए मैंने भी रांची से गुमला जाने वाली ओहदार नामक बस में तोरपा से कामडारा तक सफर किया।
दोपहर के दो बज रहे हैं। गुमला जाने के लिए तोरपा बस स्टैंड पर खड़ा हूं। यहां हमारे जैसे कई लोग बस के इंतजार में खड़े हैं। बस आई। बस में करीब तीस यात्री सवार थे। इनमें दो युवती और पांच महिलाएं। अधिकतर युवा थे। दो बुजुर्ग भी बैठे थे। बस में चढ़ते ही युवाओं व एक बुजुर्ग के बीच हो रही बातें सुनाई दी।
बुजुर्ग शायद पहले से किसी पार्टी की पक्ष में अपनी राय दे रहे थे, पर उनका साथ देने वाला बस में मुझे एक युवक ही नजर आया। वह भी शायद उनका परिजन लग रहा था। अन्य युवक पाकिस्तान की करतूतों व देश की सुरक्षा पर चर्चा कर रहे थे। उनका कहना था, जो अब हुआ, पहले नहीं हुआ। युवाओं की बात सुनकर करीब 67 वर्षीय बुजुर्ग रामप्रीत महतो बराबर जवाब दे रहे थे।
उनका कहना था कि जब चुनाव आता है, तभी क्यों पाकिस्तान याद आता है। मंदिर का नाम क्यों नहीं लिया जा रहा। उनकी बातें सुन पीछे सीट पर बैठी युवती ने कहा, अंकल घर चलाने के लिए जैसे आपको कई फैसले न चाहते हुए भी लेने पड़ते हैं या नहीं। वैसे ही देश के नेतृत्व के बारे में भी सोचो। सब समय पर हो जाएगा। युवती की बात सुन मैंने उससे उनका नाम पूछा।
बोली- रिंकी, रांची विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही है। लोगों की बात सुन रहा कंडक्टर भी सियासी वार्तालाप में कूद पड़ा। कहा, यह तो मैं भी मानता हूं कि समय बदला है। अब घूस लेने वाले डरने लगे हैं। चर्चा के दौरान कई लोग राजनीतिक दलों के पक्ष-विपक्ष में दिखे। कोई चौकीदार बताने वाले के पक्ष में था तो कोई चौकीदार को कठघरे में खड़ा करने वाले के पक्ष में। इन सभी की बातें दो युवक बड़े ध्यान से सुन रहे थे।
शायद उन्हें पोकला उतरना था, इसलिए सीट छोड़ खड़े भी हो गए थे। उतरने के पहले दोनों युवकों ने सामूहिक तीर चलाया। कहा, कुछ तो दम है तभी हेमंत, बाबूलाल व तेजस्वी एक हो गए हैं। गठबंधन वाले कितना भी गठजोड़ कर लें पर सत्ता उसी को मिलेगी जिसे हम जैसे युवा पसंद करेंगे।
दोनों युवकों की बात सुनने के बाद मैंने उन्हें कुरेदा तो उत्तर मिला- भाई साहब मैंने बोला कम है, लेकिन समझना अधिक। यह कहते हुए दोनों युवक उतर गए। उसके बाद तो बस में सियासी चर्चा ही बंद हो गई। लोग अपने-अपने मोबाइल में व्यस्त हो गए।