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Lok Sabha Polls 2019: यहां 'हाथ' से ढक गई है 'कंघी', छिप गया है 'तीर-धनुष'

Lok Sabha Polls 2019. खूंटी सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में ईवीएम से तीर-धनुष गायब रहेगा। हाथ से तीर-धनुष को पांच वर्षों के लिए ढक दिया गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 01:38 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 01:38 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: यहां 'हाथ' से ढक गई है 'कंघी', छिप गया है 'तीर-धनुष'
Lok Sabha Polls 2019: यहां 'हाथ' से ढक गई है 'कंघी', छिप गया है 'तीर-धनुष'

खूंटी, [कंचन कुमार]। खूंटी सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में ईवीएम से 'तीर-धनुष' गायब रहेगा। 'हाथ' से 'तीर-धनुष' को पांच वर्षों के लिए ढक दिया गया है। दरअसल महागठबंधन के दलों के बीच हुए समझौते के तहत खूंटी सीट कांग्रेस पार्टी को मिली है। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने यहां से नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है। किसी भी प्रत्याशी ने तीर-धनुष सिंबल के लिए दावा नहीं किया है।

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उधर झाविमो की 'कंघी' को भी 'हाथ' ने ही छिपा रखा है। यह भी ईवीएम से गायब रहेगी। खूंटी लोकसभा क्षेत्र में पडऩे वाले विधानसभा क्षेत्रों पर नजर दौड़ाई जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस से मजबूत दिखती है। इस दल के यहां से दो विधायक हैं। खरसावां सीट से झामुमो के दशरथ गगराई विधायक हैं। वहीं तोरपा सीट पर भी झामुमो का ही कब्जा है। एकमात्र सीट कोलेबिरा कांग्रेस के पास है।

यहां हुए उपचुनाव में नमन विक्सल कोनगाड़ी कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। दोनों राष्ट्रीय दलों की स्थिति देखी जाए तो दो सीट खूंटी एवं सिमडेगा भाजपा के कब्जे में है। खूंटी से नीलकंठ सिंह मुंडा एवं सिमडेगा से बिमला प्रधान विधायक हैं। वहीं कांग्रेस महागठबंधन के पास तीन सीटें- कोलेबिरा, खरसावां एवं तोरपा है। एक सीट आजसू के टिकट पर जीते तमाड़ विधायक की स्थिति स्पष्ट नहीं है।

वहीं तोरपा विधायक भी अभी महागठबंधन से कटे-कटे नजर आ रहे हैं। तोरपा विधायक पौलुस सुरीन खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे के लिए पहले से ताल ठोक रहे थे। महागठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने के बाद उन्होंने इसका विरोध करते हुए चुनाव मैदान में हर हाल में आने की बात कही थी। उनका कहना था कि खूंटी की जनता उन्हें मैदान में देखना चाहती है।

वे जनभावनाओं का अनादर नहीं कर सकते। हालांकि बाद में उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा के नामांकन के समय पौलुस सुरीन की अनुपस्थिति महागठबंधन के लोगों को खल रही थी। क्योंकि इसका गलत संदेश जा रहा था। अब कांग्रेस प्रत्याशी दम-खम के साथ चुनाव मैदान में हैं। लेकिन पौलुस सुरीन के खुलकर सामने नहीं आने से गठबंधन की कमजोरियां सामने दिख रही हैं।


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