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Lok Sabha Polls 2019: चुनावी समर से लाउडस्पीकर गायब, कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंच रही आवाज

Lok Sabha Polls 2019. खूंटी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की तैयारी जोरों पर चल रही है। बड़ी-बड़ी बैठकों का दौर जारी है। खूब खर्च किए जा रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 11:25 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:59 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: चुनावी समर से लाउडस्पीकर गायब, कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंच रही आवाज
Lok Sabha Polls 2019: चुनावी समर से लाउडस्पीकर गायब, कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंच रही आवाज

खूंटी, जागरण संवाददाता। खूंटी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की तैयारी जोरों पर चल रही है। बड़ी-बड़ी बैठकों का दौर जारी है। खूब खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन कार्यक्रमों से लाउडस्पीकर गायब है। तेज आवाज में बोलने के बाद भी पीछे बैठे कार्यकर्ताओं तक नेताओं की आवाज नहीं पहुंच रही है। इसके पीछे चुनाव आयोग का खौफ है।

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आयोग को हर खर्च का हिसाब देने एवं लाउडस्पीकर के लिए कठिन प्रक्रिया के कारण नेता और प्रत्याशी इससे दूर भाग रहे हैं। चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आधा दर्जन से अधिक कार्यक्रम किए हैं। इनमें रोड शो से लेकर, नुक्कड़ सभा तथा पार्टी अधिकारियों की बैठकें शामिल हैं। लेकिन किसी भी कार्यक्रम में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया गया।

हाल में भाजपा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लाउडस्पीकर की अनुमति ली गई थी। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने पूरे लोकसभा क्षेत्र के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की। काफी संख्या में लोग जुटे थे। खाने-पीने की भी व्यवस्था थी। लेकिन लाउडस्पीकर नहीं लगाए गए। शुक्रवार को कांग्रेस प्रत्याशी ने पुन: महागठबंधन के सहयोगी दलों के साथ बैठक की।

काफी संख्या में लोग जुटे। व्यवस्था अच्छी थी। लेकिन लाउडस्पीकर नहीं लगाया गया था। मंच से नेताओं की आवाज पीछे बैठे कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंच रही थी। साथ ही बसपा प्रत्याशी के नामांकन जुलूस में भी लाउस्पीकर की व्यवस्था नहीं थी। चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के तहत सभा, रैली एवं अन्य कार्यक्रम करने के लिए कई स्तर पर अनुमति लेने की व्यवस्था की है।

इसमें पंडाल, टेबल-कुर्सी, लाउडस्पीकर, पोस्टर-बैनर, कटआउट, लाइट, झालर का पूरा ब्यौरा देते हुए इसमें खर्च की गई राशि का भी पूरा विवरण देना होता है। सारा खर्च उम्मीदवार के खर्च में शामिल कर दिया जाता है। लाउडस्पीकर लगाने पर कार्यक्रम चर्चा में आ जाता है। फिलवक्त आयोग की नजर से बचने-बचाने के लिए राजनीतिक दल इससे परहेज कर रहे हैं।


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