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बिहार के लोग ले रहे खूंटी के वनोत्पाद का स्वाद

खूंटी के वनोत्पाद का स्वाद पड़ोसी राज्य बिहार के लोगों को खूब भा रहा है। वनोत्पाद में कटहल एक ऐसा फल है जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। कच्चे में सब्जी बनाकर और पकने पर स्वादिस्ट कटहल सभी को पसंद आता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 08:15 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 08:15 PM (IST)
बिहार के लोग ले रहे खूंटी के वनोत्पाद का स्वाद
बिहार के लोग ले रहे खूंटी के वनोत्पाद का स्वाद

रनिया : खूंटी के वनोत्पाद का स्वाद पड़ोसी राज्य बिहार के लोगों को खूब भा रहा है। वनोत्पाद में कटहल एक ऐसा फल है, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। कच्चे में सब्जी बनाकर और पकने पर स्वादिस्ट कटहल सभी को पसंद आता है। खूंटी जिले के रनिया से हर सप्ताह करीब 100 क्विटल कटहल बिहार के नालंदा, नवादा व पटना के लिए जाता है। सोमवार को रनिया और मंगलवार को सोदे साप्ताहिक हाट से व्यापारी ग्रामीणों से कटहल खरीदकर उसे बिहार भेज रहे हैं। इससे ना केवल ग्रामीणों को बल्कि व्यापारी भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे हैं। रनिया और सोदे में लगने वाले साप्ताहिक हाट से व्यापारी ग्रामीणों से कटहल खरीदकर एक जगह एकत्रित करते हैं। फिर उसे बिहार के विभिन्न मंडियों के लिए भेजते हैं। खरीदारी के लिए पहुंचे व्यापारी मंजर हुसैन ने बताया कि बिहार में त्योहारों के मौके पर कटहल की विशेष मांग रहती है। झारखंड का कटहल खाने में स्वादिष्ट है।

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वनोत्पाद से मुनाफा कमा रहे ग्रामीण

रनिया प्रखंड क्षेत्र के बंलनकेल, जयपुर, सोदे, खटखुरा सहित आसपास के गांव के वनोत्पाद पर निर्भर रहने वाले लोग इन दिनों कटहल बेचकर अच्छी मुनाफा कमा रहे हैं। जंगल से तोड़कर लाए गए कटहल को व्यापारी ग्रामीणों से पंद्रह रुपये प्रति किलो की दर से खरीदारी करते हैं। कटहल को पिकअप वैन के माध्यम से रातोंरात बिहार की विभिन्न मंडियों तक पहुंचाया जाता है। कटहल के खरीदार तपकारा निवासी शहाबुद्दीन खान बताते हैं कि साप्ताहिक हाट में दो पिकअप वैन कटहल यानि करीब पचास क्विटल कटहल बिहार जाता है। रनिया और सोदे मिलाकर हर सप्ताह करीब सौ क्विटल कटहल बिहार जाता है। इससे एक ओर जहां ग्रामीणों को आमदनी हो रही है, वहीं ग्रामीणों से कटहल एकत्रित कर बिहार के व्यापारियों को उपलब्ध कराने वालों को भी रोजगार मिल जाता है।


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