झारखंड के खूंटी में नौ जगहों पर हुई पत्थलगड़ी
जिला प्रशासन ने पत्थलगड़ी को रोकने के लिए रणनीति अख्तियार की थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखा।
जागरण संवाददाता, खूंटी। झारखंड में खूंटी जिला प्रशासन को एक बार फिर से स्वयंभू नेताओं ने चुनौती देते हुए नौ जगहों पर पारंपरिक ढंग से पत्थलगड़ी की। इसमें करीब दो हजार की संख्या में लोग उपस्थित हुए। इस मौके पर मुख्य अतिथि स्वयंभू नेता डॉ. जोसेफ पूर्ति, जॉन जुनास तिडू और बलराम समद उपस्थित हुए।
ओमटो में पत्थलगड़ी करने के साथ ही स्वयंभू नेताओं ने नारे भी लगाए। इसमें न विधानसभा न लोकसभा सबसे ऊपर ग्रामसभा, जो भारत का संविधान नहीं मानेगा वो देशद्रोही, आदिवासी इस देश के राजा आदि नारे लगाए गए। वहां पर मौजूद महिलाओं व पुरुषों ने उनके स्वर में स्वर मिलाकर नारे लगाए। जिला प्रशासन ने पत्थलगड़ी को रोकने के लिए रणनीति अख्तियार की थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखा। खूंटी से मारंगहादा मुख्यमार्ग पर सुरक्षा बलों के जवान तैनात दिखे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, हाकाडुवा व ओमटो के बीच आम बागीचा में विशेष आमसभा का आयोजन किया गया। उपस्थित ग्रामीण हरवे हथियार से लैस थे। सभास्थल में एक बड़ी बस, कई छोटी गाडि़यां और सैकड़ों की संख्या में मोटरसाइकिल लगी हुई थीं।
आमसभास्थल के कुछ दूर पहले से ही आदिवासी महासभा के सदस्य बाइक से हर आने-जाने वालों पर नजर रख रहे थे। इस मौके पर स्वयंभू नेता जोसेफ पूर्ति ने कहा कि हमलोग संविधान के दायरे में रहकर ही काम कर रहे हैं। पत्थलगड़ी हमारी रूढि़वादी परंपरा है। इसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। आदिवासी इस देश के मालिक हैं। उन्होंने कहा कि तीन जून को उदबुरू में आदिवासी महासभा द्वारा आदिवासी ग्रामसभा बैंक की आधारशिला रखी जाएगी। इसके साथ ही आदिवासी मुख्यालय भवन का शिलान्यास किया जाएगा। वहीं से आदिवासी बोर्ड सिलेबस और अन्य चीजों की तैयारी की जाएगी। आदिवासियों का कोई भी बच्चा सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ेगा। हमलोग चुनाव में भी भाग नहीं लेंगे, क्योंकि वर्जित क्षेत्र में चुनाव का कोई नियम नहीं है।