अंशकालिक शिक्षकों ने की लॉकडाउन अवधि के मानदेय की मांग
शिक्षकों को लॉकडाउन की अवधि में मानदेय नहीं दिए जाने से उनके समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्हें परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है।
तोरपा : शिक्षकों को लॉकडाउन की अवधि में मानदेय नहीं दिए जाने से उनके समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्हें परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है। इसे लेकर अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय में कार्यरत अंशकालिक शिक्षकों ने रविवार को ममरला स्थित विधायक आवास में विधायक कोचे मुंडा को ज्ञापन सौंपकर सरकार से शिक्षकों को पिछले छह माह के लॉकडाउन की अवधि का मानदेय दिलाने की मांग की।
शिक्षकों ने कहा है कि पिछले चार-पांच वर्षों से हम लोगों का अवधि विस्तार होता आ रहा था, लेकिन इस वर्ष कोविड 19 जैसी महामारी से जूझने के बावजूद न तो मानदेय मिल रहा है और न ही अवधि को विस्तार हो रहा है। ज्ञापन के माध्यम से शिक्षकों ने कहा कि वर्ष2015 में झारखंड सरकार ने स्नातक प्रशिक्षित उम्मीदवारों का चयन जिलास्तरीय कमेटी बनाकर रिक्त पदों पर अंशकालिक शिक्षकों के रूप में किया था। तब से नियमित रूप से शिक्षक अपने-अपने विद्यालय में योगदान दे रहे हैं, परंतु लॉकडाउन की दौरान एक बार भी उनकी ओर विभाग ने ध्यान नहीं दिया। जबकि अंशकालिक शिक्षकों के बदौलत मैट्रिक परिक्षा में रिजल्ट शत-प्रतिशत रहा। इसके लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है। शिक्षकों ने सभी 352 अंशकालिक शिक्षकों का 60 वर्ष के लिए समायोजन कर सुनिश्चित मानदेय देने की मांग की। इस दौरान कोचे मुंडा ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि आपकी बातों को आने वाले विधानसभा सत्र में प्रमुखता से उठाएंगें। विधायक ने यह भी कहा कि मुख्य सचिव के पास भी आपकी बातों को रखेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में शिक्षक संघ के सचिव राजेन्द्र कश्यप, विपुल जायसवाल, विकास जायसवाल, संध्या कुमारी, मनोज कुमार सिंह, दिव्या रोश्नी, संगीता तोपनो, निशा रानी बोदरा, तनुजा खातून, मनोरमा गुड़िया, सुदर्शन महतो, अर्पणा बारला, रोजलिना आईंद व सुनीता गुड़िया सहित कई शिक्षक मौजूद थे।