अगर पकड़ा गया यूसुफ पूर्ति तो दूसरी पंक्ति के नेता संभालेंगे कमान
पहले भी कई पत्थलगड़ी नेताओं पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने उनमें से कई को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।
खूंटी, प्रेम किशोर। पत्थलगड़ी आंदोलन की पहली पंक्ति के कुछ नेताओं की गिरफ्तारी होने और मास्टरमाइंड यूसुफ पूर्ति पर लगातार कसते पुलिस के शिकंजे से इसके समर्थकों को अपना अभियान खतरे में दिख रहा है। यही वजह है कि अब खूंटी जिले में सक्रिय माओवादी इस अभियान की कमान थामने के लिए आगे आ चुके हैं। साथ ही, वे लोग अभियान की कमान दूसरी पंक्ति के नेताओं के हवाले करने पर भी विचार कर रहे हैं। दूसरी पंक्ति के नेता भी सोशल मीडिया की मदद से खूंटी जिले के पत्थलगड़ी प्रभावित गांवों में आंदोलन को आगे बढ़ाने व माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रशासन की कोशिशों से बहुत दिनों बाद खूंटी में माहौल बेहतर होने की ओर अग्रसर था। चितरामू गांव के ग्रामीणों ने बीते दिनों जॉन जुनास तिड़ू, बलराम समद आदि की गिरफ्तारी के बाद न केवल वहां सरकारी विकास कार्यों को स्वागतयोग्य बताया बल्कि पत्थलगड़ी के दौरान वहां गाड़े गए पत्थरों को भी उखाड़ फेंका। इससे जिला प्रशासन को भी लगा कि अब माहौल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, लेकिन कुछ दिनों की शांति के बाद अब पत्थलगड़ी की दूसरी पंक्ति के नेता हरकत में आ गए हैं। वे खुलकर तो पत्थलगड़ी नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन आंदोलन को जीवित रखने के लिए ग्रामीणों को जिला प्रशासन और सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। यहीं कारण है कि चितरामू के बाद किसी अन्य गांव ने अब तक पत्थर उखाड़ने की पहल नहीं की है। जिला प्रशासन ने भी इन लोगों द्वारा की जा रही हरकतों पर निगाह रखे हुए है। दूसरी पंक्ति के कई नेताओं पर मामला दर्ज कर चुका है। पूर्व में भी कई पत्थलगड़ी नेताओं पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने उनमें से कई को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था।
पुलिस नहीं करेगी समझौता पत्थलगड़ी कांड में जिला प्रशासन कोई समझौता नहीं करेगा। जो लोग इस मामले में जिला प्रशासन के रडार में आएंगे उन पर कार्रवाई होगी। अश्विनी कुमार सिन्हा, एसपी, खूंटी जान से मारने की धमकी दे सभा में बुलाते थे स्वयंभू नेता पत्थलगड़ी की बहुत सी बातों की जानकारी आम लोगों को अब तक नहीं है। दरअसल, पत्थलगड़ी में जुटने वाली भीड़ स्वाभाविक भीड़ नहीं होती थी। जब भीड़ जुटाने के लिए पैसे खर्च करके भी राजनीतिक दल इतनी भीड़ नहीं जुटा पाते तो भला स्वयंभू नेता कम समय में इतनी भीड़ कैसे जुटाते थे। इस पर कई गांवों के ग्रामीणों से बात करने पर कई बातों की जानकारी मिली है। ग्रामीणों के अनुसार स्वयंभू नेता ग्रामीणों को पत्थलगड़ी कार्यक्रम और आमसभा में नहीं जाने पर जान से मारने की धमकी देते थे।
ग्रामीणों से कहते थे यदि हमारे कार्यक्रम में नहीं आए तो सरकार तुम्हारी जमीन लूट लेगी। सीएनटी-एसपीटी एक्ट, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक आदि का भी जिक्र कर उन्हें पत्थलगड़ी आमसभा में आने को प्रेरित किया जाता था। यदि ग्रामीण इन सब बातों से भी नहीं मानते थे तो पीएलएफआइ के सदस्य भेजकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती थी। इससे ग्रामीण विवश होकर पत्थलगड़ी कार्यक्रम में जाते थे। घाघरा की पत्थलगड़ी में थे कोचांग और कुरूंगा के ग्रामीण पिछले दिनों घाघरा में हुई पत्थलगड़ी में कुरूंगा और कोचांग क्षेत्र से सबसे अधिक ग्रामीण जुटे थे। जिस दिन घाघरा में पत्थलगड़ी हुई थी उस दिन कोचांग और कुरूंगा क्षेत्रों में कोई आदमी नजर नहीं आ रहा था। उस क्षेत्र की जितनी भी सवारी गाड़ी और बाइक थी, सभी को उस क्षेत्र के लोगों को पत्थलगड़ी कार्यक्रम में लाने के लिए लगा दिया गया था। कुरूंगा की वृद्ध महिलाओं को भी उस कार्यक्रम में भेजा गया था।
घाघरा में जब पुलिस और पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच झड़प हुई, तो पुलिस की मार सबसे अधिक कुरूंगा और कोचांग के लोगों को पड़ी थी। पुलिस के द्वारा जितनी भी गाड़ियों के शीशे तोड़े गए थे और उनके नंबर दर्ज किए गए थे उनमें से अधिकांश कुरूंगा और कोचांग के थे। पत्थलगड़ी आंदोलन को सोशल मीडिया से हवा दे रहे इन लोगों पर दर्ज हुई प्राथमिकी थॉमस रूंडा, वॉल्टर कंडुलना, घनश्याम बिरूली, धर्मकिशोर कुल्लू, सामू टुडू, मुक्ति तिर्की, थियोडर किड़ो, विकास कोड़ा, बबीता कच्छप, सुकुमार सोरेन, बिरसा नाग समेत कुल 20 लोगों पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया है।