Lok Sabha Election 2019: सिंचाई की सुविधा नहीं, खेती हो रही चौपट, किसान बन रहे मजदूर
Lok Sabha Election 2019. खूंटी में ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। लेकिन सिंचाई के साधन नहीं रहने के कारण फसल मारी जाती है। बारिश नहीं होने पर स्थिति विकट हो जाती है।
खूंटी, [कंचन कुमार]। खूंटी में ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। लेकिन सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं रहने के कारण फसल अक्सर मारी जाती है। दूसरों को निवाला देने वाले अन्नदाता मजदूर बन गए हैं। स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने पर वे बाहर के राज्यों में पलायन करने को विवश हैं। क्षेत्र में उद्योग-धंधे भी नहीं हैं जहां कुछ रोजगार मिल सके। जिले में 1.4 लाख हेक्टेयर में खेती होती है।
इनमें 76000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लगाई जाती है। शेष भाग में दलहन, मक्का, सब्जी, तरबूज आदि की खेती होती है। 34000 हेक्टेयर भूमि यूं ही बेकार पड़ी है। विडंबना तो यह है कि पूर्णत: कृषि पर आश्रित इस क्षेत्र की मात्र 6-7 फीसद भूमि ही सिंचित है। खेती मानसून के भरोसे होती है। बारिश यदि समय पर नहीं हुई तो किसानों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
क्षेत्र के किसान मुख्य रूप से धान की ही खेती करते हैं। धान फसल तैयार होने के बाद किसान पूर्णत: बेरोजगार हो जाते हैं। फिर मजदूरी करने बाहर निकल जाते हैं। कुछ प्रगतिशील किसान अपनी मेहनत एवं साधनों की बदौलत सब्जियों एवं तरबूज की अच्छी खेती कर लेते हैं। लेकिन ऐसे किसानों का भी रोना है कि उन्हें उनके उत्पादों के लिए बाजार नहीं मिल पाता।
उनकी फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती है। यदि किसान सब्जी बेचने के लिए स्वयं बाजार में बैठ जाए तो पूरे दिन भी वह 10 किलो से अधिक नहीं बेच पाएगा। उसकी मजदूरी भी नहीं निकल पाएगी। बाहरी विक्रेता के हाथों बेचने पर कभी-कभी तो लागत मूल्य भी नहीं निकल पाता है।
नहीं है कोल्ड स्टोरेज की सुविधा
जिले में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है। इससे किसान अपने उत्पाद को स्टोर भी नहीं कर पाते। आलू उत्पादन होने के समय इसकी कीमत कम हो जाती है। यदि कोल्ड स्टोरेज की सुविधा होती तो इसे सुरक्षित रखा जा सकता। इस तरह से किसानों को सही समय पर सही कीमत मिल पाता।
तोरपा के किसान ने बताया कि कुछ किसानों ने तरबूज की खेती कर रखी है। अभी इसकी कीमत पांच रुपये किलो हो गई है। किसान इसी कीमत पर बाहर के व्यापारियों के हाथों इसे बेचने के लिए विवश हैं।
सिंचाई के साधन के साथ किसानों के लिए बाजार भी जरूरी है। जी-तोड़ मेहनत कर किसान फसल उगा तो लेते हैं, पर उन्हें बाजार नहीं मिल पाता है। इससे किसानों में निराशा के भाव उत्पन्न होते हैं। फिर वे किसानी छोड़ अन्य धंधे में लग जाते हैं। -रामानंद साहू, इजरायल भ्रमण कर लौटे अंबा तोरपा के किसान।
क्षेत्र में खेती-किसानी करना बहुत मुश्किल हो गया है। सिंचाई के साधन नहीं रहने के कारण सिर्फ धान की फसल लगाते हैं। वह भी इस बार मार खा गई। किसानों के समक्ष मजदूरी करना ही सहारा रह गया है। -जगन्नाथ मुंडा, जरंगा अड़की।
सिंचाई के अभाव में किसान फसल का पर्याप्त लाभ नहीं ले पाते हैं। सरकार को किसानों के हित में सिंचाई की व्यवस्था पर पूरा ध्यान देना चाहिए। सिंचाई की सुविधा हो जाने पर किसान खुशहाल हो पाएंगे। -धृत महतो, बिरहू।