शहरी क्षेत्र के 30 बूथों में कम हुआ मतदान
पिछले चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र का वोट प्रतिशत जहां अधिक रहता था वहीं इस बार के चुनाव में कम हो गया।
खूंटी : पिछले चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र का वोट प्रतिशत जहां अधिक रहता था, वहीं इस बार के चुनाव में कम हो गया। शहरी क्षेत्र के 30 मतदान केंद्रों में से एकमात्र जमुआदाग में बने बूथ नंबर 200 में सत्तर प्रतिशत से ऊपर मतदान हुआ। यहां 656 मतदाताओं में से 522 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यहां का मतदान प्रतिशत 79.57 रहा। वहीं डहुगुटु के बूथ नंबर 177 में 931 मतदाताओं में 419 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यहां मतदान प्रतिशत 45.01 रहा। शहरी क्षेत्र के कुल 30 मतदान केंद्रों में से मात्र नौ मतदान केंद्रों में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इनमें कर्रा रोड पाहनटोली के बूथ नंबर 179 में 64.51, महुआटोली के बूथ नंबर 183 में 66.07, दतिया गांव के बूथ नंबर 184 में 67.94, प्रखंड कार्यालय के बूथ नंबर 186 में 64.98, कदमा के बूथ नंबर 189 में 64.06, आरसी बालक मध्य विद्यालय के बूथ नंबर 191 में 65.38, सामुदायिक भवन नामकोम के बूथ नंबर 201 में 66.51 एवं हरिजन प्राथमिक विद्यालय के बूथ नंबर 202 में 62.46 प्रतिशत मतदान हुआ है।
पिछले चुनावों में शहरी क्षेत्र के मतदाता ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षा अधिक वोट देते रहे हैं। लेकिन, इस बार मतदाता घरों से कम निकले, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। विदित हो कि शहरी क्षेत्र में अधिक मतदान होने का लाभ भाजपा को मिलता रहा है लेकिन इस बार कम मतदान होना भाजपा के लिए चिता का विषय बन गया है। चुनाव से पूर्व भाजपा समर्थक यह दावा कर रहे थे कि शहरी क्षेत्र में वे कम से कम 10 हजार की लीड लेंगे लेकिन कम मतदान होने से उनका यह दावा कमजोर पड़ रहा है। अब भाजपाई इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि आखिर शहर के मतदाताओं में वोट के प्रति उदासीनता क्यों रही। क्या कारण रहा जो लोगों ने कम संख्या में वोट किया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में हुए चुनाव में भाजपा की नैया शहरी मतदाताओं ने ही पार की थी। तब वर्तमान भाजपा प्रत्याशी नीलकंठ सिंह मुंडा ने अपने प्रतिद्वंद्वी झामुमो प्रत्याशी मसीह चरण पूर्ति को कड़े मुकाबले में नजदीकी अंतर से हराया था।