पिछड़ों व अति पिछड़ों का हक मार रही है सरकार
राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा ने राज्य के आठ जिलों में पिछड़ी व अति पिछड़ी जाति की जनसंख्या को शून्य दिखाए जाने पर नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार बीसी और आबीसी का हक मार रही है।
खूंटी : राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा ने राज्य के आठ जिलों में पिछड़ी व अति पिछड़ी जाति की जनसंख्या को शून्य दिखाए जाने पर नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार बीसी और ओबीसी समुदाय के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखने की साजिश कर रही है। रविवार को स्थानीय डाक बंगला में आयोजित पत्रकार वार्ता में मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण प्रसाद ने कहा कि 2011 की जनगणना में खूंटी, रांची, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, लातेहार और जामताड़ा में बीसी और ओबीसी की जनसंख्या शून्य दिखायी गई है। अर्थात पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति का कोई व्यक्ति इन जिलों में नहीं रहता है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है।
उन्होंने कहा कि जनगणना में इस समुदाय की जनसंख्या नहीं दिखाए जाने के कारण तेली, बनिया व कुम्हार सहित कई जातियों के बच्चों को छात्रवृत्ति तक नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि आबादी शून्य बताए जाने के कारण जिलास्तर पर इस समुदाय को नौकरी में आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल रहा है। नियुक्तियों में इस समुदाय को कोई आरक्षण नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि झारखंड में मात्र फीसदी अगड़ी जाति के लोग रहते हैं, पर उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास और ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का आभार जताते हुए कहा कि उनकी पहल पर ही बीसी और ओबीसी की जनसंख्या का आंकड़ा एकत्रित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की तर्ज पर झारखंड के पिछड़ों और अति पिछड़ों को नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। झारखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए राज्य के सभी समुदाय को पुलिस आदि की बहाली में लंबाई में गैर आदिवासियों के समान छूट मिलनी चाहिए। मोर्चा के नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो मोर्चा उग्र आंदोलन करेगा। मौके पर युवा मोर्चा के रांची जिलाध्यक्ष अमित कुमार, मोर्चा सदस्य अनिल कुमार महतो और नरेंद्र साहू भी मौजूद थे।