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पहले वोटरों को नहीं होती थी आचार संहिता की जानकारी

खूंटी शहर निवासी सुरेंद्र कुमार जायसवाल 75 बसंत देख चुके हैं। उन्होंने पहले के चुनाव प्रचार के तरीकों की जानकारी दी। कहा कि 1962 में उन्होंने पहली बार मतदान किया था। उस समय बैलेट पेपर से

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 10:13 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:26 AM (IST)
पहले वोटरों को नहीं होती थी आचार संहिता की जानकारी
पहले वोटरों को नहीं होती थी आचार संहिता की जानकारी

खूंटी : शहर निवासी सुरेंद्र कुमार जायसवाल 75 बसंत देख चुके हैं। उन्होंने पहले के चुनाव-प्रचार के तरीकों की जानकारी दी। कहा कि 1962 में उन्होंने पहली बार मतदान किया था। उस समय बैलेट पेपर से मतदान किया जाता था। मतपत्रों को बॉक्स में डाला जाता था। चुनाव में प्रचार के साधन के रूप में साइकिल का उपयोग होता था। छोटे-छोटे झंडे लगाकर आठ से दस सदस्यों का प्रचार करने निकलता था। मुंह वाले चोंगे से घर-घर जाकर अपना प्रचार करते थे। प्रत्याशी अपने दल से साथ अपना परिचय करते हुए अपनी ओर वोट देने का आग्रह लोगों से करते थे। पहले के चुनाव में न तो शोर-शराबा होता था और न ही न ही गाजे-बाजे होते थे। पूर्ण रूप से शांति का माहौल रहता था। वोटरों को आचार संहिता के बारे में भी जानकारी नहीं थी। कुछ ही लोग अचार संहिता में बारे जानते थे। पहले ज्यादा राजनीतिक दल नहीं होते थे ।

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