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भ्रम में ग्रामीण, सरकारी योजना लेने से भाग रहे दूर

खूंटी मंगलवार की दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे। तिरला पंचायत का बुधडीह गांव। जश्न का माहौल है। इमली पेड़ के नीचे अखरा में गांव वाले जमा हैं। ढोल मांदर की आवाज दूर-दूर तक सुनाई पड़ रही है। पुरुष धोती-कुर्ता तथा महिलाएं साड़ी पहन सरहुल नृत्य

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 07:56 PM (IST)
भ्रम में ग्रामीण, सरकारी योजना लेने से भाग रहे दूर
भ्रम में ग्रामीण, सरकारी योजना लेने से भाग रहे दूर

खूंटी : मंगलवार की दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे। तिरला पंचायत का बुधडीह गांव। जश्न का माहौल है। इमली पेड़ के नीचे अखरा में गांव वाले जमा हैं। ढोल-मांदर की आवाज दूर-दूर तक सुनाई पड़ रही है। पुरुष धोती-कुर्ता तथा महिलाएं साड़ी पहन सरहुल नृत्य में मस्त हैं। सरकारी योजनाओं का हाल जानने मैं गांव पहुंचा था। सोचा, सरहुल में मस्त लोगों को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं। आगे बढ़ते हुए गांव के लगभग अंतिम छोर पर पहुंचा। तीन महिलाएं आपस में बात कर रही हैं। पूछने पर सुनैना ने बताया कि उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है। आयुष्मान योजना के तहत हेल्थ कार्ड भी बना है, लेकिन सभी ग्रामीण सुनैना जैसे जागरूक नहीं हैं। गांव के लोगों का मुख्य पेशा खेती, पशुपालन एवं शहर जाकर मजदूरी करना है। गांव तक सड़कें बनी हैं। गली-गली में सोलर लाइट लगी हैं। अधिकांश लोगों को शौचालय का लाभ मिला है। गांव में 102 घर है।

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यहां के लोग काफी भोले-भाले हैं। घर-परिवार की चिता से पूर्णत: बेफिक्र। एतवा पूर्ति मवेशी चरा रही हैं। बताती है कि उसे पीएम आवास नहीं लेना। जो टूटा-फूटा घर है, वही ठीक है। शौचालय का लाभ मिला है। एक महिला हड़िया के नशे में लड़खड़ाते हुए पहुंची। दोनों हाथ जोड़कर जोहार बोली। मैंने भी जोहार बोलकर उसके अभिवादन का जवाब दिया। उसने कहा, गैस कनेक्शन मिला है। घर मिल रहा है, लेकिन मुझे नहीं चाहिए। पैसा कम मिल रहा है। मेरे पास पैसा नहीं है कि और लगाकर घर बना सकूं। हर जगह योजनाओं की छीना-झपटी चल रही है। लेकिन यह क्या? यहां तो लोग योजना का लाभ लेने से दूर भाग रहे हैं। जितना उनके पास है, उसी में मस्त। मैं इसका कारण जानने के लिए मुखिया के घर पहुंचा। जहां सरहुल मनाया जा रहा, उसी अखरा के समीप मुखिया का घर है। कई गांवों की टोली एक-एक कर आती है और नाच-गान कर दूसरे गांव के लिए प्रस्थान कर जाती है। यहां दूसरी टोली का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। अखरा के आसपास बांस की झाड़ियां हैं। झाड़ियों से छउआ झांक रहा है। छोटी-छोटी बच्चियां भी साड़ी पहन एवं फूलों से सजधज कर नृत्य कर रही हैं। सामने के हैंडपंप पर मुखिया सुमंती पूर्ति पानी भर रही हैं। मेरे साथी अनुज से पूर्व परिचित हैं। हमलोगों को देखकर पास आती हैं। हमलोगों ने आने का मकसद बताया। छोटा सा कच्चा मकान है। आसपास मुर्गियों का कुनबा टहल रहा है। वह हमलोगों के लिए कुर्सियां निकालती हैं। घर के बाहर पेड़ के नीचे बैठते हैं। मुखिया ने बताया, गांव में प्रथम फेज में 23 एवं द्वितीय फेज में 27 लाभुकों का नाम पीएम आवास के लिए निकला है, लेकिन मात्र पांच लोगों ने इसका लाभ लिया। ज्यादातर लोग कहते हैं कि इतने पैसे में घर नहीं बनेगा। समझाने का बहुत प्रयास किया। भोले-भाले लोग योजना का लाभ लेने के लिए आगे नहीं आ रहे। इसका सबसे बड़ा कारण उनमें फैली अफवाह है। लोगों को भ्रम है कि जिस जमीन पर मकान बनेगा, वह सरकार का हो जाएगा। इस भय से भी लोग इसका लाभ लेने से कतरा रहे हैं। मुखिया बताती हैं कि गांववालों को जागरूक करने की जरूरत है। सड़क, बिजली, शौचालय आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन पानी की दिक्कत है। सरहुल के कारण गांव के ज्यादातर घरों में मेहमान आए हुए हैं। खासकर महिला मेहमान। मुखिया के घर में भी कुछ मेहमान पहुंचे हैं। इस बीच उनकी छह साल की बेटी आ जाती है। साड़ी पहनाने की जिद कर रही। उसे भी सरहुल नृत्य में भाग लेना है। मुखिया हमलोगों से विदा लेती हैं। पूरा गांव जश्न में डूबा है।


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