आठ सौ पारा शिक्षकों ने दी गिरफ्तारी
खूंटी : बेमियादी हड़ताल पर चल रहे पारा शिक्षकों ने मंगलवार को एकीकृत पारा शिक्षक संघ्
खूंटी : बेमियादी हड़ताल पर चल रहे पारा शिक्षकों ने मंगलवार को एकीकृत पारा शिक्षक संघ मोर्चा के बैनर तले जेल भरो आंदोलन किया। इस दौरान करीब आठ सौ पारा शिक्षकों ने गिरफ्तारी दी। करीब दो घंटे बाद सभी को रिहा कर दिया गया।
इससे पूर्व जिले के सभी प्रखंडों से आए पारा शिक्षक लोयला स्कूल के पीछे स्थित मैदान में एकत्र हुए। यहां से पारा शिक्षकों का जुलूस कतारबद्ध होकर नारेबाजी करते हुए चला। जुलूस के दौरान आंदोलनकारी पारा शिक्षक समान काम, समान वेतन व स्थायीकरण की मांग कर रहे थे। आंदोलनकारियों का जुलूस लोयला स्कूल से भगत ¨सह चौक होते हुए नेताजी चौक पहुंचकर वापस भगत ¨सह चौक होते हुए एसएस प्लस टू हाईस्कूल पहुंचा। यहां एसडीओ प्रणव कुमार पॉल, बीडीओ सुचित्रा ¨मज व अंचलाधिकारी विजय कुमार की मौजूदगी में पुलिस ने सभी आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद सभी को एसएस प्लस टू हाईस्कूल में बनी अस्थायी जेल में रखा गया। करीब दो घंटे बाद सभी आंदोलनकारियों को रिहा कर दिया गया। गिरफ्तारी देने वालों में प्रमुख रूप से जिला सचिव नेली लुकस, कृष्णा महतो, जितेंद्र मांझी, सुखदेव राम, उपाध्यक्ष दयाल कंडीर, जय¨सह जेवियर, दिनेश महतो, सुनील महतो, पारस महतो, शशि ¨सह, ललित उरांव, बुढ़न ¨सह मुंडा, सुभाष राम, रामनिरंजन राम, महेश ¨सह व दिलीप पाढ़ी समेत सैकड़ों पारा शिक्षक शामिल थे।
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मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन : पाठक
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए एकीकृत पारा शिक्षक संघ मोर्चा के जिलाध्य्क्ष संजय कुमार पाठक ने कहा कि सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ और हमारी मांगें जब तक पूरी नहीं होंगी, तबतक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। यह आंदोलन पूर्ण समर्थन प्राप्त आंदोलन है। झारखंड के तमाम बुद्धिजीवी, आम जनता और विभिन्न संगठन हमारे साथ हैं। उन्होंने कहा कि सत्य तनिक विचलित हो सकता है, लेकिन पराजित कभी नहीं। हमने 16 वर्षो का स्वर्णिम काल झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को दिया। इका इनाम हमें लाठी-डंडे और कारावास से दिया गया। लाठी की चोट और कारावास हम हंसते-हंसते झेल लेंगे किन्तु 67000 परिवार की बद्दुआ, आह व आंसू को झेलना मुख्यमंत्री तो क्या किसी भी मानव जाति के वश की बात नहीं है। यदि स्थायीकरण और वेतनमान नहीं दे सकते हैं, तो कोई बात नहीं, लेकिन दो शब्द हमारे उत्साहवर्धन के लिए कह देते, तो हम इनाम समझकर स्वीकार कर लेते, लेकिन आपने हमें जो इनाम दिया है वह राज्य की जनता ही नहीं देश की जनता को भी पता चल गया है। यह हमारा भी स्थापना दिवस था, हमें भी आप से आशा थी। हमें भी खुश होकर दो वक्त की रोटी खाने का अधिकार है। हम शिक्षक हैं। हमें राष्ट्र निर्माता कहा जाता है। जब राष्ट्र निर्माता ही असंतुष्ट रहेंगे, तो आप कल्पना कीजिए कि किस प्रकार के राष्ट्र का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि आप वर्ष 2002 से पहले का आंकड़ा देखिए कि शिक्षा और साक्षरता दर क्या थी और अभी क्या है। हमारा बीता हुआ कल लौटा दें, तो हमें किसी से कोई गिला-शिकवा नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार के रुख से हमारी ¨जदगी तो बर्बाद हो ही गई है, लेकिन हम यही कहते हैं कि झारखंड के बच्चों का भविष्य बर्बाद मत कीजिए। सरकार या तो हमारा स्थायीकरण कर वेतनमान दे, या फिर हमें एक साथ बर्खास्त कर दे।