खूंटी में नक्सलियों के संरक्षण में होती है अफीम की खेती
खूंटी : खूंटी में बीते कई सालों से धड़ल्ले से अफीम की खेती हो रही है। इसकी खेती को कह
खूंटी : खूंटी में बीते कई सालों से धड़ल्ले से अफीम की खेती हो रही है। इसकी खेती को कहीं-न कहीं से नक्सलियों का संरक्षण प्राप्त है। खेत मालिकों को पोस्ते की खेती के पैसे भी नक्सली मुहैया करवाते हैं। साथ ही अफीम फसल की निगरानी से लेकर पुलिस प्रशासन को मैनेज करने की भी जिम्मेदारी गांव वाले को ही सौंप देते हैं। नक्सली किसानों को मोटी रकम का प्रलोभन देकर इसकी खेती आराम से करवाते हैं। किसान भी कम आमदनी में अधिक मुनाफा को देखते हुए इसकी खेती को राजी हो जाते हैं। इसकी खेती सितंबर से अक्टूबर के बीच प्रारंभ हो जाती है और मार्च से अप्रैल तक अफीम तैयार हो जाता है।
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कहां-कहां होती खेती
अफीम की खेती सासंगबेड़ा, साके, रोकाब, कटोई, मुचिया, कसमर, लोंगा, पडासू, हडदलामा गांव के दक्षिणी अड़की क्षेत्र में होती है। अफीम माफिया ऐसी जगहों पर खेती करते हैं, जहां पुलिस भी नहीं जाती है। साथ ही वहां पर सिंचाई का कोई साधन नहीं होता है। अफीम माफिया मोटर पंप लगाकर दूर से सिंचाई की व्यवस्था करते हैं। बीते साल यहां पर करीब 1600 एकड़ में पोस्ते की खेती हुई थी। हालांकि, पुलिस ने कई जगहों पर पोस्ते की फसल को नष्ट किया था। साथ ही अफीम माफिया को भी गिरफ्तार किया है। अबतक जिले में पुलिस ने 81 किलो अफीम और 29 तस्कर को गिरफ्तार किया है।
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पत्थलगड़ी से अफीम की खेती को करते हैं सुरक्षित
जिले के पत्थलगड़ी वाले गांवों में ही सबसे अधिक अफीम की खेती होती है। गांव के सीमाने पर पत्थलगड़ी कर पांचवी अनुसूची का हवाला देते हुए पुलिस-प्रशासन को गांव के अंदर प्रवेश करने से मना कर दिया जाता है। इससे अफीम की फसल सुरक्षित रहती है।
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दिल्ली, पंजाब, बंगलादेश में होती है सप्लाई
यहां से अफीम बंगला देश, नेपाल, दिल्ली, पंजाब और कोलकता भेजा जाता है। पिछले साल इस क्षेत्र में अफीम की जबरदस्त खेती हुई थी। करीब चार हजार करोड़ रुपये का धंधा अफीम से हुआ था। किसानों को अधिक आमदनी चाहिए और अफीम माफिया को खेत।
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क्या कहते हैं एसपी
एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने बताया कि अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस लगातार उस क्षेत्र में जागरूकता अभियान भी चला रही है। जगह-जगह पोस्टर चिपकाए गए हैं। पिछली बार कई अफीम खेत मालिकों को चिह्नित भी किया गया है। उसके लिए अनुसंधान चल रहा है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि इस बार कोई भी जिले में अफीम की खेती न कर पाए।
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हॉकी की नर्सरी मानी जाती है खूंटी
यह जिला हॉकी की नर्सरी के रूप में जाना जाता है। यहां से कई प्रतिभाएं नेशनल और इंटरनेशनल खेल चुकी हैं। एशियाई खेल में खूंटी की हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान ने इसबार हॉकी में रजत पदक प्राप्त किया है।