Lok Sabha Polls 2019: खांटी विद्वानों की खूब कद्र करती है खूंटी
Lok Sabha Polls 2019. विदेश में प्रोफेसर रहे जयपाल सिंह मुंडा तीन बार खूंटी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उप राष्ट्रपति का चुनाव लड़े होरो दो बार बन चुके हैं यहां के सांसद।
खूंटी, [कंचन कुमार]। खूंटी शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है। लेकिन यहां के लोग खांटी विद्वानों की कद्र करना खूब जानते हैं। राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त कई बुद्धिजीवियों को यहां से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।ख्यातिप्राप्त विद्वान एवं हॉकी खिलाड़ी जयपाल ङ्क्षसह मुंडा ने तीन बार यहां से विजय हासिल की।
जयपाल सिंह का बचपन मवेशियों के साथ गुजरा था। लेकिन स्कूल पहुंचते ही प्रतिभा में निखार आने लगा।स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के संत जॉन्स कॉलेज में दाखिला लिया। यहां से ऑनर्स करने के बाद भारतीय सिविल सेवा के लिए उनका चयन हुआ। लेकिन उन्होंने काम नहीं किया। 1934 में ङ्क्षप्रस ऑफ वेल्स कॉलेज, गोल्ड कोस्ट घाना में उन्होंने शिक्षक के रूप में योगदान दिया।
वहां से 1937 में भारत लौटे। फिर राजकुमार कॉलेज रायपुर के प्राचार्य बने। उन्हें लगा कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जाय। बाद में आदिवासियों के हित में आंदोलन के उद्देश्य से वे राजनीति में आए। देश को हॉकी में पहला स्वर्ण दिलाने का श्रेय उन्हीं के खाते में दर्ज है। ऐसी महान प्रतिभा को खूंटी की जनता ने तीन बार लोकसभा भेजा। वे यहां से 1952, 1957 एवं 1962 में चुनाव जीते।
1971 के आम चुनाव में इन ई होरो ने झारखंड पार्टी से खूंटी लोकसभा से बाजी मारी। उनकी विद्वता भी राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात थी। 1974 में वाइस प्रेसिडेंट के लिए उन्होंने चुनाव लड़ा। उन्हें 21.3 फीसद मत मिला। बीडी जत्ती से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। 1980 में पुन: खूंटी की जनता ने उन पर भरोसा किया। दोबारा सांसद चुने गए।
आधी आबादी को भी प्रतिनिधितत्व
2004 में सुशीला केरकट्टा ने यहां से जीत दर्ज की। वह बिरसा कॉलेज खूंटी में प्रोफेसर थीं। बाद में प्राचार्य भी बनीं। बिहार सरकार में भी कई विभाग संभालने का उन्हें मौका मिला था। 1984 में कांग्रेस से सिमोन तिग्गा ने जीत दर्ज की।
स्नातकोत्तर कडिय़ा का सिर आंखों पर बिठाया
क्षेत्र से सर्वाधिक बार प्रतिनिधितत्व करने का मौका कडिय़ा मुंडा को मिला है। उनकी विद्वत्ता किसी से छिपी नहीं है। पांचवीं लोकसभा में 2009 से 2014 तक वे डिप्टी स्पीकर रहे। मोरारजी देसाई एवं अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे। स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त कर चुके कडिय़ा मुंडा को खूंटी की जनता ने आठ बार प्रतिनिधतत्व करने का मौका दिया। 1977,1989,1991,1996,1998,1999,2009 एवं 2014 में उन्होंने जीत दर्ज कर रिकॉर्ड कायम किया है।
हाल में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण का सम्मान दिया है। खूंटी की साक्षरता दर मात्र 63,14 फीसद है। शिक्षा में पिछड़े जिलों में पहचान होने के बाद भी यहां की जनता विद्वता का कद्र करती रही है। लेकिन इतने विद्वानों के प्रतिनिधित्व के बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य नहीं हो सका है। बिरसा कॉलेज के शिक्षक राजकुमार गुप्ता कहते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में काम हुआ है। लेकिन और करने की जरूरत है। वहीं बानो के शिक्षक जॉन सोरेन भी मानते हैं कि शिक्षा को प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए।