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Lok Sabha Polls 2019: शहर को पानी देने वाले केलाघाघ में पर्यटकों की प्यास अधूरी

Lok Sabha Polls 2019. सिमडेगा जिला मुख्यालय से 3.5 किमी दूर केलाघाघ डैम में हाल के दिनों में विकास के कई कार्य हुए हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 07:35 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: शहर को पानी देने वाले केलाघाघ में पर्यटकों की प्यास अधूरी
Lok Sabha Polls 2019: शहर को पानी देने वाले केलाघाघ में पर्यटकों की प्यास अधूरी

सिमडेगा, जासं। खूंटी लोकसभा क्षेत्र के सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 3.5 किमी दूर जिले के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक केलाघाघ में हाल के दिनों में विकास के कई कार्य हुए हैं। इसे देखने, समझने व यहां पर उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का जायजा लेने गुरुवार को दोपहर बाद करीब एक बजे निकल पड़ा। अपनी बाइक से धीमी रफ्तार के साथ मुख्य पथ से होते हुए एनएच-143 पर बने विशालकाय गेट से होकर गुजरा।

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धूप तेज थी, वातावरण शांत था। चंद मिनट बाद सिंगल परंतु घुमावदार पक्की सड़क व पर्वतों की तराई से गुजरते हुए केलाघाघ पहुंचने ही वाला था कि डैम के तट पर आम के कई कतारबद्ध पेड़ों से मंजर व फल की खूशबू मिलने लगी। चहक रहे पक्षियों की आवाज सुनाई देने लगी। कोयल की कू-कू की मिठास कानों में घुल रही थी। अब तक के सफर में इक्के-दूक्के लोग ही मिले थे।

मेरी नजरें केलाघाघ के विकास और चुनावी सरगर्मी पर बात करने के लिए किसी को तलाश रही थी। इसी बीच आम के बगान में लाल बाबा अपने खटिया पर बैठे नजर आए। उनके आस-पास चार-पांच लोग और नजर आए। समीप में ही दो बंदरों को चैन से बांधकर रखा गया था, जो उछल-कूद कर रहे थे। मैं उस ओर चल पड़ा। पहुंचते ही लाल बाबा से कुशल-क्षेम पूछा और केलाघाघ में विगत वर्षों में हुए विकास कार्यों व चुनाव पर चर्चा छेड़ दी।

इसपर लाल बाबा ने कहा- भई एक बात तो तय है, जो काम करेगा और देश हित की सोचेगा, वह जरूर जीतेगा। उन्होंने केलाघाघ के बारे में बताया कि यहां सुरक्षा की दृष्टिकोण से टीओपी बनाया गया है, जहां चौबीसों घंटे जवान मौजूद रहते हैं। स्वच्छता के लिए शौचालय का भी प्रबंध किया गया है। लेकिन यहां पानी की घोर समस्या है। हैंडपंप नहीं होने से यहां आने वाले पर्यटकों को पेयजल के लिए परेशान होना पड़ता है।

सड़क पर स्ट्रीट लाइट का प्रबंध नहीं है। इससे शाम होते ही सड़कों पर अंधेरा छा जाता है। इसी प्रकार मनोज लाल, शिवलाल प्रसाद, सानु सागर शर्मा, शीतल लकड़ा ने भी लाल बाबा की बातों का समर्थन करते हुए इन सुविधाओं की जरूरत बताई। साथ ही पहाड़ी के ऊपर बने गुप्तेश्वर धाम तक जाने के लिए सीढ़ी बनवाने की भी मांग रखीं।

यहां यह बताना जरूरी है कि केलाघाघ डैम से शहर में जलापूर्ति होती है। लेकिन यह विडंबना ही है कि केलाघाघ में पर्यटकों की प्यास अधूरी है। यहां से चर्चा के बाद मैं शिवालय पहुंचा। जहां ज्ञात हुआ कि यहां एक हैंडपंप है, लेकिन वह खराब है। समीप ही किनारे पर बोट स्टैंड दिखाई दिया, जहां कई बोट पड़े-पड़े बेकार हो गए थे। आगे बढ़ा तो यहां टीओपी बना हुआ है। मौके पर दो जवान मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि यहां पानी व लाइट की समस्या है। सड़कों पर स्ट्रीट लाइट बेकार हो गई है। खैर टीओपी बनने से यहां अब असामाजिक तत्वों का अड्डा लगना बंद हो गया है। वहां से निकलने के बाद सेंट्रल स्कूल से होते हुए पुन: गुजरा। जहां कचरा डंपिंग यार्ड से धुएं का गुब्बार निकलता दिखाई दिया। धुएं से पूरा वातावरण दूषित हो रहा था।

ऐसे में मन में यही विचार आया कि असीम पर्यटन की संभावना वाले केलाघाघ डैम में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। समुचित विकास कार्य के होने से यह स्थान पर्यटन के लिहाज से जिले व शहर के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। केलाघाघ डैम का विशाल जलाशय, डैम तट पर बने मंदिर, हरे-भरे पर्वतमाला आदि यहां पर कई दर्शनीय व मनोरम स्थल हैं। जलाशय में यहां अब केज कल्चर से मत्स्य पालन का व्यवसाय भी शुरू किया गया है।


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