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ऐतिहासिक लौयकेल मंडा मेला का समापन

कर्रा ऐतिहासिक लौयकेल मंडा मेला का शुक्रवार को झूलन के साथ समापन हो गया। कर्रा प्रखंड के लौंयकेल गांव में चल रहे मंडा महोत्सव में 5

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 09:00 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 06:39 AM (IST)
ऐतिहासिक लौयकेल मंडा मेला का समापन
ऐतिहासिक लौयकेल मंडा मेला का समापन

कर्रा : ऐतिहासिक लौयकेल मंडा मेला का शुक्रवार को झूलन के साथ समापन हो गया। कर्रा प्रखंड के लौंयकेल गांव में चल रहे मंडा महोत्सव में 58 भक्तों ने पट भोक्ता बिरसा मुंडा की अगुवाई में गुरुवार की रात धुआं हुआ, जिसमें भोक्ताओं को दहकते अंगारों के बीच पैर मे रस्सी बांधकर सिर नीचे कर झुलाया गया।

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फुलखुंदी व्रत के साथ नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर मनोवांछित फल प्राप्त किया। चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस महापर्व में भक्तों ने शिव मंदिर के समक्ष लोटन सेवा, धुआं सेवा व तांडव नृत्य किया। सभी ने निराहार रहकर दिन-रात शिव को प्रसन्न करने में बिताया। मध्य रात्रि में मंडा स्थल पर भगवान शिवलिग के ऊपर गुलैची फूल के चढ़ाए गए। सैकड़ों माला व बेल पत्र के शिवलिग से गिरते ही माला धारण कर शिवाज्ञा से 56 भक्तों ने नंगे पांव धधकते अंगारों पर चलकर फुलखुंदी व्रत को पूर्ण किया। शिव भक्ति की इस अग्नि परीक्षा में सभी भक्तों के लिए धधकते अंगारे फूल बनकर शिव की महिमा का एहसास कराते रहे। पटभोक्ता बिरसा मुंडा व पुजारी पवन दास गोस्वामी ने बताया कि शिव की असीम कृपा से दहकते अंगारे सभी भक्तों को फूल से महसूस होते हैं। फुलखुंदी व्रत को देखने के लिए लोग दूर-दूर के गांवों से लौंयकेल मंडा पहुंचे थे। भक्तों को चरखी के सहारे दस फीट ऊंची खुटी में घुमाया गया। इस दौरान भक्त गुलैची फुल को नीचे फेंक रहते थे, जिसे लेने के लिए लोगों मे होड़ मची रही। मेला में तरह-तरह के झूले, रंग-बिरंगे खिलौने व मिठाई की दुकानों में लोगो की भीड़ उमड़ी रही। मेला में कर्रा, खूंटी, लापुंग, बेड़ो, सिसई, नगड़ी, ओडिशा एवं बंगाल से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। मेला को सफल बनाने में जय माता दी क्लब लौंयकेल के अध्यक्ष रघुनाथ महतो, सचिव संतोष नायक, नवीन कुमार उर्फ बुल्लू, गुलाब नायक, नागेंद्र सिंह, बिहारी सिंह, शिवकुमार लाल, जया सिंह, कुलेन्द्र सिंह समेत अन्य ग्रामीणों का सहयोग रहा।


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