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बेटी की मानसिक स्थिति बिगड़ी तो जंजीर से बांध दिए पैर

वैसे तो हर मां-बाप अपनी औलाद को जिगर से लगाकर रखते है। लेकिन जब मां-बाप ही न रहे तो औलाद का बेहतर परवरिश मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 10:01 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 10:01 PM (IST)
बेटी की मानसिक स्थिति बिगड़ी तो जंजीर से बांध दिए पैर
बेटी की मानसिक स्थिति बिगड़ी तो जंजीर से बांध दिए पैर

संवाद सूत्र, तोरपा : वैसे तो हर मां-बाप अपनी औलाद को जिगर से लगाकर रखते है। लेकिन जब मां-बाप ही न रहे तो औलाद का बेहतर परवरिश मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। प्रखंड के सुंदारी में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। सुंदारी के दिवंगत लोहरा गुड़िया की मृत्यु बहुत पहले हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी भी दूसरी शादी कर चली गई। दिवंगत लोहरा के तीन बेटे व बेटी है। बेटी मिनी गुड़िया की उम्र 14 वर्ष है जिसे जंजीर में बांधकर रखा जाता है। दरअसल 14 साल की मिनी गुड़िया की परवरिश पिता व माता के नहीं रहने पर उसके बड़े पिता बिरसा गुड़िया कर रहे थे। कुछ महीने से मिनी की मानसिक स्थिति खराब हो गई है। जिससे मिनी घर से निकल कर कहीं भी भाग जाती है। रोज-रोज के इस झंझट से छुटकारा पाने के लिए अब बिरसा को कहीं जाना होता है तो मिनी को एक जंजीर से बांधकर रख देते है ताकि वह कहीं भाग न जाए। हालांकि, परिवार के लोग जंजीरों से जकड़ी बेटी की हर फरमाइश पूरी करते हैं।

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अचानक पागलों जैसी हरकतें करने लगती है मिनी

मानसिक रूप से कमजोर हो चुकी बच्ची घर के बाहर लोगों को नुकसान पहुचाने लगी है। घर के बाहर आने-जाने वालों पर हमले करने लगी तो लोगों ने इसकी शिकायत परिवार से की। इसके बाद मजबूरी में आकर बिरसा को दिल मजबूत करके अपने बच्चे को घर के अंदर जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है। कहते है औलाद जैसी भी हो, पर मां-बाप कभी भी अपनी औलाद को परेशानी में नहीं देखना चाहते है। जंजीरों से बांधने के बाद भी बड़ा पिताजी बेटी की हर फरमाइश पूरी कर रहे हैं।

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शायद मिल जाए छुटकारा

वैसे तो सरकारी योजनाएं अक्सर गरीबों के लिए ही बनाई जाती है। लेकिन इस परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है। यही कारण है कि बीमार मिनी का इलाज करने के बजाए उसे जंजीरों से बांधकर रखने पर स्वजन मजबूर है। बिरसा गुड़िया के आजीविका का मुख्य साधन कृषि है। वे खेती बाड़ी करके इतना पैसा नहीं कमा पाते है जिससे वह अपने बेटी का अच्छा इलाज करा पाए। कुछ जमा पूंजी थी जो इलाज पर खर्च हो चुकी है। वहीं मानसिक स्थिति खराब होने के बाद मिनी गुड़िया के जंजीर में बंधे रहने की जानकारी मिलने के बाद बिरसा का एक रिश्तेदार सुखराम गुड़िया ने उसे रांची स्थित रिनपास ले जाकर इलाज कराया। जहां मिनी को एक महीने का दवा दिया गया है। अब यह कयास लगाया जा रहा है कि शायद मिनी को अब जंजीरों से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं तोरपा के विधायक कोचे मुंडा व सांसद प्रतिनिधि मनोज कुमार ने कहा कि इसकी जानकारी मिलने के बाद उन्होंने मिनी के इलाज के लिए व्यवस्था कराया।


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