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Lok Sabha Polls 2019: सरकारी योजनाओं के प्रति अफसर गंभीर नहीं, निगरानी की जरूरत

Lok Sabha Polls 2019. ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी स्तर से काम अच्छा हो रहा है। लेकिन अधिकारियों की लाल फीताशाही के कारण ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 06:24 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:24 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: सरकारी योजनाओं के प्रति अफसर गंभीर नहीं, निगरानी की जरूरत
Lok Sabha Polls 2019: सरकारी योजनाओं के प्रति अफसर गंभीर नहीं, निगरानी की जरूरत

खूंटी, जागरण संवाददाता। सरकारी योजनाओं का हाल एवं ग्रामीणों के चुनावी मुद्दे जानने के लिए दैनिक जागरण की टीम शनिवार की दोपहर सिलादोन गांव पहुंची। गांव जिला मुख्यालय से लगभग नौ किलोमीटर एवं खूंटी-कर्रा मार्ग से लगभग दो किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है। इमली पेड़ की छाया में दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल लगी। इसमें ग्रामीणों ने खुलकर अपनी बातें रखीं।

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ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी स्तर से काम अच्छा हो रहा है। ग्रामीणों के लिए कई लाभकारी योजनाएं लाई गई हैं। लेकिन अधिकारियों की लाल फीताशाही के कारण इसका लाभ जरूरतमंद ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। बार-बार स्मरण दिलाने के बाद भी ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है तब उनमें निराशा आती है। इससे सरकार के प्रति अविश्वास प्रबल होता है।

गांव में लगभग 200 घर हैं। ग्रामीणों का मुख्य पेशा खेतीबाड़ी एवं शहर जाकर मजदूरी करना है। गांव में सड़क अच्छी बनी है। 40 प्रधानमंत्री आवास बने हैं। हर गली में बिजली है। खेत भी उपजाऊ हैं, लेकिन सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण कई फसलों का लाभ किसान नहीं उठा पाते हैं। बंधु पाहन ने कहा कि गांव में लगभग 35 फीसद लोगों को उच्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिल चुका है।

लेकिन गरीबी एवं आसानी से जलावन की लकड़ी उपलब्ध हो जाने के कारण ग्रामीण गैस रीफिल नहीं करा पाते हैं। रामदेव कुमार कहते हैं कि ग्रामीणों को आयुष्मान भारत योजना का कार्ड भी मिल चुका है। शुक्रा प्रधान कहते हैं कि सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं। सरकार ने गरीबों एवं किसानों के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाता है।

इसका लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ता है। वहां बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों का रवैया ठीक नहीं रहता है। सड़क की व्यवस्था ठीक हुई है। सिंचाई की भी व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए। छठु महतो कहते हैं- चुनाव में कई लोग वोट के लिए संपर्क करते हैं। लेकिन वोट का हकदार तो वही है जिसने काम किया है। गरीबों को लाल कार्ड पर चावल नहीं मिल रहा है।

गांव में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं है। 50 घर के लोगों की प्यास बुझाने के लिए मात्र दो हैंडपंप लगे हैं। पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए। वैसे विकास कार्यों में तेजी आई है। रामदेव कुमार ने कहा कि तजना नदी में सालों भर पानी रहता है। सरकार मोटर पंप की व्यवस्था कर दे तो सिंचाई की समस्या बहुत हद तक कम हो जाएगी। सिंचाई की व्यवस्था हो जाने पर सब्जी की खेती होगी एवं ग्रामीणों में खुशहाली आएगी।

बुका पाहन के अनुसार बच्चों की पढ़ाई के समय बिजली नहीं रहती है। इससे उनकी पढ़ाई बाधित होती है। सुरेंद्र महतो, अनिल महतो समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि गांव वालों ने डीप बोरिंग के लिए विभागीय अधिकारी को आवेदन दिया है। लेकिन उनके आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं की गई। पूछने पर सही जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई जाती है।

सरकार को योजनाओं की निगरानी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गांव की सुनैना देवी ने बताया कि उन्हें गैस कनेक्शन मिला है। परंतु आयुष्मान कार्ड नहीं बन सका है। कार्ड कहां से बनेगा, जानकारी नहीं है। कुछ अन्य महिलाओं ने बताया कि जरूरत पडऩे पर ममता वाहन कुछ ही देर में उपलब्ध हो जाता है। लेकिन गांव में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है।


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