वोट देते हैं, नेताओं के पीछे भागने की फुर्सत नहीं
खूंटी जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर खूंटी तैमारा मार्ग पर बसा है सेतागड़ा। यहां के लोग हर चीज के लिए सरकार को नहीं कोसते। ग्रामीणों ने अपना रास्ता खुद ही तय कर लिया है। बुधवार को दिन में लगभग 2 बजे मैं अपने सहयोगी अनुज को साथ लेकर गांव पहुंचा। जॉन टूटी बकरियों को चराने ले जाने की तैयारी में हैं। मुझे देखते ठिठक गए। परिचय पूछा। फिर शुरू कर दी अपनी बात।
खूंटी : जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर खूंटी-तैमारा मार्ग पर बसा है सेतागड़ा। यहां के लोग हर चीज के लिए सरकार को नहीं कोसते। ग्रामीणों ने अपना रास्ता खुद ही तय कर लिया है। बुधवार को दिन में लगभग 2 बजे मैं अपने सहयोगी अनुज को साथ लेकर गांव पहुंचा। जॉन टूटी बकरियों को चराने ले जाने की तैयारी में हैं। मुझे देखते ठिठक गए। परिचय पूछा। फिर शुरू कर दी अपनी बात। जॉन टूटी ने बताया, यहां के लोग वोट देते हैं। अपने अधिकार को जानते हैं, लेकिन नेताओं के पीछे भागने की उन्हें फुर्सत नहीं है। फिर कहते हैं, हर काम के लिए सरकार पर निर्भरता ठीक नहीं। टूटी के पास पचास बकरियां, दस सूअर, मूर्गे-मुर्गियां, गाय-बैल, मधुमक्खी पालन, गंभार-सागवान व आम के बागीचे हैं। कहते हैं, इतनी फुर्सत नहीं कि सरकार की बड़ाई-बुराई में अपना समय जाया करूं। मवेशियों को चराकर आने के बाद सब्जियों की खेती में जुट जाता हूं। इस पर भी ध्यान देना है। इसके अलावा लाह लगी लकड़ियों के गट्ठर पड़े हैं। इससे लाह निकालना है। बताते हैं, टोले के कई लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। लेकिन, रोजगार के लिए उन्हें शहर भागने की जरूरत नहीं है। घर पर ही काफी काम पड़े हैं। टोले मे चार पांच लोगों को प्रधानमंत्री आवास मिला है। कुछ लोगों को गैस कनेक्शन भी मिला है। टोले में बिजली पहुंच चुकी है। कहीं-कहीं सोलर लाइट भी लगी हैं।
वहीं मेरी मुलाकात कलेब जॉन नामक युवक से हुई। उसने बताया कि बकरी, शूकर, गाय-बैल, मुर्गियां एवं बत्तख पालन से अच्छी आमदनी हो जाती है। खेतीबाड़ी भी है। टीलेनुमा जमीन पर फलदार एवं इमारती पेड़ लगा दिए हैं। इससे भी आमदनी हो जाती है। जमीन बहुत अधिक नहीं है। पर, उपज अच्छी हो जाती है। मधुमक्खी एवं लाह से नकद राशि मिल जाती है। बकरियों को घेरकर बाड़ी में रखते हैं। इसके विष्टा को खाद के रूप में उपयोग करते हैं। विलासी देवी मवेशी चराने जा रही थी। बताया कि उसे गैस कनेक्शन मिला है। लेकिन, इसका उपयोग बरसात के दिनों में ही करती हैं। उस समय लकड़ियां भीगी मिलती हैं, इसलिए इसकी जरूरत पड़ती है।
वहीं टोले में सड़क के उस पार बुधनी एवं मंगरी बैठी हैं। बुधनी कहती है, उसे पीएम आवास एवं गैस कनेक्शन नहीं मिला है। वोट देती हैं। लेकिन, सरकार उन पर ध्यान नहीं देती। बगल में गंगोत्री बैठी है। वह बिरसा कॉलेज में इंटर की छात्रा है। सरकार से उसकी काफी नाराजगी है। कहती है, युवाओं के उच्च शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। अपनी मेहनत की बदौलत लोग अच्छी कमाई, तो कर सकते हैं, लेकिन शिक्षा की व्यवस्था तो नहीं कर सकते। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
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चूहों से अनाज बचाने को पाल रखे हैं बिल्लियां
टोले में एक घर में तीन बिल्लियां बैठी हैं। मुर्गे- मुर्गियों का परिवार वहीं टहल रहा है। छोटे-छोटे चूजे फुदक रहे हैं। कुत्ता भी बगल में बैठा है। पर, बिल्ली या कुत्ते चूजे पर हमला नहीं करते। एक साथ रहते हैं। टूटी ने बताया कि धान (अनाज) बाहर में रखते हैं। उसे चूहे बर्बाद कर देते हैं। चूहों से बचाव के लिए बिल्लियों को पाल रखा है। जबकि बाहरी जानवरों से बचाव कुत्ते करते हैं।