'भूत' भी विकास के आधार पर करेगा मतदान
खूंटी भूत भी चाहता है कि इस चुनाव में विकास करने वाला को ही साथ दिया जाए - सुनने में अटपटा सा लगता है। लेकिन यह सत्य है। दरअसल भूत एक गांव है। गांव में पढ़े-लिखे लोग बहुत अधिक नहीं हैं। लेकिन सभी जागरूक हैं। इस बार चुनाव को लेकर उनमें खास उत्सुकता है। गुरुवार की दोपहर योजनाओं की पड़ताल करने मैं भूत गांव पहुंचा। गांगी देवी एवं सीता देवी - दोनों वृद्धा पैदल आ रही हैं। सिर पर गठरी है। वह मुंडारी बोलती हैं। अजनवी पाकर दोनों हाथ जोड़कर मुझे जोहार बोलती हैं।
खूंटी : 'भूत' भी चाहता है कि इस चुनाव में विकास करने वाला को ही साथ दिया जाए - सुनने में अटपटा सा लगता है। लेकिन, यह सत्य है। दरअसल भूत एक गांव है। गांव में पढ़े-लिखे लोग बहुत अधिक नहीं हैं। लेकिन, सभी जागरूक हैं। इस बार चुनाव को लेकर उनमें खास उत्सुकता है।
गुरुवार की दोपहर योजनाओं की पड़ताल करने मैं भूत गांव पहुंचा। गांगी देवी एवं सीता देवी-दोनों वृद्धा पैदल आ रही हैं। सिर पर गठरी है। वह मुंडारी बोलती हैं। अजनबी पाकर दोनों हाथ जोड़कर मुझे जोहार बोलती हैं। मैंने भी हाथ जोड़कर अभिवादन किया। फिर शुरू हो गई योजनाओं व मुद्दों पर बात। उनकी भाषा मैं पूरी तरह नहीं समझ पा रहा। बगल में बैठे उसी गांव के महेश मुंडा मुझे समझने में मदद कर रहे हैं। दोनों महिलाओं ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान, उज्ज्वला योजना से गैस तथा शौचालय भी नहीं मिला। फिर भी दोनों आशान्वित हैं। कहती हैं, नहीं मिला है तो कुछ दिनों में मिल जाएगा। लेकिन, वोट देने का मौका तो बहुत दिनों बाद मिलता है, इसलिए वोट तो देंगे ही।
पूरा गांव इस बार मतदान को लेकर खासा उत्साहित है। महेश मुंडा बताते हैं, इस बार बहुत दिनों के बाद भाजपा से अपनी बिरादरी का प्रत्याशी मिला है। अर्जुन मुंडा इस गांव में नहीं पहुंचे हैं। लेकिन लोग उन्हें सगा मान रहे हैं।
कई टोलों में बंटे इस गांव में लगभग 180 घर है। 70-80 लाभुकों को प्रधानमंत्री आवास मिला है। लगभग पचास फीसद घरों तक गैस कनेक्शन पहुंच गया है। शौचालय भी ज्यादातर घरों के पास बन गया है। भूत गांव के टोलों का नाम भी कुछ इसी तरह से है। जैसे बड़ा भूत, छोटा भूत..आदि। गांव का नाम भले ही भूत है, लेकिन यहां के लोग वर्तमान में जीते हैं। गांव के कमल पाहन एवं कई लोग इमली पेड़ की छांव में चबूतरे पर बैठे हैं। उन्हें सरकार से शिकायत है। कहते हैं, अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। पीएम आवास के लिए 1.30 हजार रुपये तो खाते में मिल गए, लेकिन मनरेगा से मिलने वाली 15 हजार की राशि ग्रामीणों को नहीं मिली है। निर्माण में लगने वाले सामान की कीमत बढ़ती जा रही है। उनके अनुसार ऐसे अधिकारियों पर लगाम कसने की जरूरत है।
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भूत नाम होने से झेलनी पड़ती है परेशानी
गांव के चमन मुंडा ने एक वाकया सुनाया । कहा, गांव के एक मरीज को लेकर रिम्स रांची गए थे। काउंटर पर बैठा कर्मी ने पता पूछा। गांव का नाम भूत बताते ही वह भड़क गया। कहा, यहां लोग इलाज कराने आते हैं, मजाक करने नहीं। सही नाम बताओ। मैंने पुन: भूत बताया। इस पर उसने पर्ची फेंक दी। कहा, चले जाओ यहां से। भूतों का इलाज यहां नहीं होता। बाद में बहुत समझाने पर मरीज को एडमिट किया।
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डरावने घर में रह रही बुधनी
बुधनी कुमारी बिल्कुल ही जर्जर मकान में रही है। इमली पेड़ के नीचे खपरैल घर की हालत ऐसी हो गई है कि यह कभी भी धराशाई हो सकता है। उसे गैस कनेक्शन, शौचालय एवं आयुष्मान कार्ड भी नहीं मिला है। वह अपने इसी डरावने घर में बैठकर इमली चुन रही हैं। लेकिन अब भी उसे कोई शिकायत नहीं है। कहती है। कुछ नहीं मिला है, लेकिन वोट तो जरूर करूंगी।