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Lok Sabha Polls 2019: शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत नहीं खूंटी का खूंटा

Lok Sabha Polls 2019. शिक्षा के क्षेत्र में खूंटी का खूंटा काफी कमजोर है। खूंटी को जिला बने 12 साल होने को हैं। लेकिन यहां उच्च शिक्षा की मुक्कमल व्यवस्था नहीं हो सकी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 02:27 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 02:46 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत नहीं खूंटी का खूंटा
Lok Sabha Polls 2019: शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत नहीं खूंटी का खूंटा

खूंटी, [कंचन कुमार]। शिक्षा के क्षेत्र में खूंटी का खूंटा काफी कमजोर है। खूंटी को जिला बने लगभग 12 साल होने को हैं। लेकिन यहां उच्च शिक्षा की मुक्कमल व्यवस्था नहीं हो सकी है। 57 साल पहले बना बिरसा कॉलेज एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका है। इससे उलट सुविधाओं में गिरावट ही दर्ज की गई है। यहां पर किसी भी विषय में पीजी की पढ़ाई की सुविधा नहीं है।

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जिलेवासियों के लिए नॉलेज सिटी भी एक हसीन सपना बनकर रह गया है। शिक्षा के क्षेत्र में जनप्रतिनिधि एवं सरकारी स्तर से गंभीर पहल नहीं की गई। बिरसा कॉलेज की स्थापना दो जुलाई 1962 को की गई थी। उसी समय इसे डिग्री कॉलेज की मान्यता मिली थी। जिले के लिए यह इकलौता डिग्री कॉलेज था। उस समय डिग्री तक पढ़ाई करने वाले लोगों की संख्या कम हुआ करती थी।

इसलिए यहां पढऩे वाले बच्चों के लिए संसाधन पर्याप्त थे। अब जनसंख्या बढ़ी। पढ़ाई के प्रति लोगों में जागरुकता आई। डिग्री स्तर तक पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या में काफी इजाफा हुआ। इसके बावजूद संसाधनों में वृद्धि नहीं की गई। विडंबना तो यह है कि इसके बाद जिले में कोई भी डिग्री कॉलेज नहीं खुला है। बिरसा कॉलेज में ही महिलाओं के लिए डिग्री स्टैंडर्ड वीमेंस कॉलेज खोला गया है।

लेकिन इसके लिए कुछ भी व्यवस्था नहीं है। अलग से भवन बनाने के लिए जमीन तक चिह्नित नहीं की जा सकी है। आज बिरसा कॉलेज में डिग्री में छह हजार, इंटर में तीन हजार तथा डीएसडब्ल्यू में एक हजार यानि कुल दस हजार छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं है। क्लास रूम की खिड़कियों से पल्ला गायब है, तो भवन के प्लास्टर झड़ रहे हैं।

कॉलेज की भूमि कैसरे हिंद की है। यहां बीएड की पढ़ाई शुरू करने के लिए कॉलेज प्रबंधन ने पहल की। मान्यता के लिए पैसा भी संस्थान में जमा कर दिया। लेकिन यह कहते हुए मांग खारिज कर दी गई कि कॉलेज का जमीन पर स्वामित्व नहीं है। इसलिए इस पर विचार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद प्रबंधन ने हार नहीं मानी।

डीसी एवं विभागीय मंत्री से लिखवाकर दिया। लेकिन आवेदन पर विचार नहीं किया गया। और इस तरह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सत्र 2013-14 में कॉलेज में बीसीए एवं बीबीए का वोकेशनल कोर्स शुरू किया गया। लेकिन एक साल में ही यह बंद हो गया। जिले में कहीं भी व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था नहीं है।

यहां साइंस, आर्ट्स एवं कॉमर्स तीनों फैकल्टी में पढ़ाई होती है। लेकिन कहीं क्लास रूम नहीं है, तो कहीं शिक्षकों का अभाव। कॉमर्स के लिए शिक्षकों का कोई भी पद स्वीकृत नहीं है। जबकि मनोविज्ञान में एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं हैं। यहां कुल 17 विषयों की पढ़ाई होती है। कमरा पर्याप्त नहीं होने के कारण लैब में साइंस की पढ़ाई होती है। कॉलेज में ऑडिटोरियम भी नहीं है।

चुनाव के समय दो माह के लिए कॉलेज बाधित हो जाता है। ईवीएम रखने से लेकर मतगणना होने तक पढ़ाई बाधित रहती है। बच्चों के भविष्य का ख्याल रखा जाना चाहिए। पीजी की पढ़ाई शुरू कराने के लिए क्लासरूम एवं टीचर की व्यवस्था होनी चाहिए। -डॉ. नेलेन पूर्ति, प्रभारी प्राचार्य, बिरसा कॉलेज, खूंटी।


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