खेती के लिए बजट पर खूंटी में आनलाइन हुई चर्चा
सीबीजीए दिल्ली और लीड्स रांची ने खूंटी जिले के विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ आनलाइन मीटिग कर खेती के लिए बजट और जिले में खेती की स्थिति पर चर्चा की।
जागरण संवाददाता, खूंटी : सीबीजीए दिल्ली और लीड्स रांची ने खूंटी जिले के विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के साथ आनलाइन मीटिग कर खेती के लिए बजट और जिले में खेती की स्थिति पर चर्चा की। मीटिग में सीबीजीए दिल्ली से राजलक्ष्मी नैयर, गुरप्रीत सिंह, असदुल्ला और सुचिता रावल और लीड्स संस्था के निदेशक एके सिंह, महेंद्र कुमार शामिल हुए। इस मीटिग का संचालन लीड्स के कृषि विशेषज्ञ रंजीत भेंगरा ने किया। सीबीजीए के गुरप्रीत सिंह ने केंद्रीय बजट, नीतियों, समस्याओं और हम बजट को प्रभावी ढंग से कैसे लागू कर सकते हैं, इसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड में खेती बारी कई समस्याओं से जूझ रही है जैसे विपणन, भंडारण की सुविधा का अभाव, बीजों की खराब गुणवत्ता आदि। लीड्स के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर महेंद्र कुमार ने कृषि के राज्य बजट के बारे में बताया। उन्होंने बजट में दो मुख्य समस्या राजस्व समस्या और उचित कार्यान्वयन पर बात की और अच्छी पहल के बारे में बताया। मौके पर प्रदान के यश ओंदिया ने कहा कि कैसे जमीनी स्तर पर बजट का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। ग्राम व पंचायत स्तर पर बजट का सदुपयोग करते समय सब्सिडी की जानकारी का ना होना एक बड़ा मुद्दा है। पंचायत स्तर पर समितियों को युवाओं और महिलाएं की समान भागीदारी के साथ सक्रिय किया जाना चाहिए क्योंकि वे उत्पाद के विपणन में अच्छी भूमिका निभाएंगी। मुरहू के बीपीआरओ जी कुंडू ने बताया कि डेयरी विकास, मत्स्य पालन, वानिकी, सहकारिता में ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। इसके साथ ही किसानों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने किसानों की समस्याओं के बारे में भी बात की। जेएसएलपीएस के रविशंकर वर्णवाल ने सुझाव दिया कि कैसे आजीविका समर्थन के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया जाए, झारखंड में संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं, अगर हम एनटीएफपी में स्थानांतरित होते हैं तो इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। मुरहू के किसान सुमंजन ने एमएसपी और लॉकडाउन के कारण आ रही समस्याओं के बारे में बताया। सरकार किसानों से एमएसपी दर पर एनटीएफपी नहीं खरीद रही है, उनके उत्पादों के लिए पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है। इनके अलावा नीड्स के अमित कुमार महतो व कर्रा सोसाइटी के सादिक जहां ने भी अपने विचार रखे।