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सत्य व अहिसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है दशलक्षण पर्व : रोहित जैन

जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा पर्व पर्युषण है जिसे दश लक्षण पर्व भी कहा जाता है। यह त्योहार भाद्रपद (भादो) महीने में मनाया जाता है और क्षमावाणी से व्रत का समापन होता है। इस बार यह पर्व 23 अगस्त से एक सितंबर तक व क्षमावाणी तीन सितंबर को मनाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 06:51 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 06:51 PM (IST)
सत्य व अहिसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है दशलक्षण पर्व : रोहित जैन
सत्य व अहिसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है दशलक्षण पर्व : रोहित जैन

खूंटी : जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा पर्व पर्युषण है, जिसे दश लक्षण पर्व भी कहा जाता है। यह त्योहार भाद्रपद (भादो) महीने में मनाया जाता है और क्षमावाणी से व्रत का समापन होता है। इस बार यह पर्व 23 अगस्त से एक सितंबर तक व क्षमावाणी तीन सितंबर को मनाया जा रहा है। इस बार सभी कार्यक्रमों का आयोजन लोग अपने-अपने घरों में ही कर रहे हैं।

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इस संबंध में जैन समाज के रोहित जैन ने बताया कि जैन धर्मानुसार सभी जैनियों को 10 लक्षण (नियम) का पालन करना जरूरी है। इनमें उत्तम क्षमा, उत्तम मारदव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिचन और उत्तम ब्रह्मचर्य। रोहित जैन ने बताया कि पर्व का समापन क्षमावाणी पर्व से होता है। सभी लोग एक-दूसरे से साल भर में की गई गलतियां के लिए क्षमा मांगते हैं। इस पर्व में श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक व्रत उपवास करते हैं। इसमें एक दिन से लेकर 10 दिन तक उपवास रखा जाता है। उपवास के दौरान व्रती सिर्फ एक समय जल ग्रहण करता है। कई व्रती तो जल भी ग्रहण नहीं करते। इस दौरान व्रती कठिन नियम का पालन करते हैं। दशक्षण के दौरान जो उपवास नहीं रखते हैं, उनमें से भी कई लोग एक ही समय भोजन करते हैं। रात को भोजन करना वर्जित है। आलू व प्याज सहित अन्य कई वस्तुओं के उपयोग की मनाही है। यह पर्व भगवान महावीर के मूल सिद्धांत अहिसा परमो धर्म: जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है। यह हमें बुरे कर्मों का नाश कर सत्य और अहिसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।


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