आज भी आदिम युग में जी रहे ग्रामीण
बुढ़मू विकास के नाम से कोसों दूर कई कई गांव के ग्रामीण आज भी आदिम युग मे जी रहे हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण बुधवार की रात तब देखने को मिला जब प्रसव वेदना से कराह रही महिला को परिजनों ने डेढ़ किमी तक
राजू चौबे, बुढ़मू
विकास के नाम से कोसों दूर कई कई गांव के ग्रामीण आज भी आदिम युग मे जी रहे हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण बुधवार की रात तब देखने को मिला जब प्रसव वेदना से कराह रही महिला को परिजनों ने डेढ़ किमी तक खाट में ढोकर पहुंचाया।
प्रखंड क्षेत्र के सारले पंचायत अंतर्गत डिहवा टोली के लालेश्वर मुंडा की पत्नी संगीता देवी को बुधवार रात करीब नौ बजे प्रसव पीड़ा हुई। इसके बाद ग्रामीणों ने 108 एंबुलेंस को फोन के माध्यम से जानकारी दी। लेकिन, गांव तक पहुंच पथ न होने के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं जा सकी और महिला को मुख्य पथ तक लाने कहा। इसके बाद परिजन संगीता देवी को खटिया में लादकर बमने तक लाए और 108 एंबुलेंस के माध्यम से सीएचसी बुढ़मू भेजा। वहां संगीता देवी ने एक लड़की को जन्म दिया। विदित हो कि उक्त पथ के निर्माण की मांग ग्रामीण वर्षों से कर रहे हैं लेकिन पथ का निर्माण नहीं हुआ। इसे लेकर गत 22 अक्टूबर को ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था लेकिन विभागीय अधिकारियों के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने मतदान किया लेकिन अभी भी अधिकारियों ने पथ निर्माण के संबंध में कोई पहल नहीं की।