पत्थलगड़ी पर बात करने की बजाए सरकार कर रही राजनीति: बाबूलाल मरांडी
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जमीन की लड़ाई में हमसब को एकजुट होना पड़ेगा।
खूंटी। घाघरा और कोचांग कांड की जांच करने शनिवार को रांची से संयुक्त विपक्ष की टीम घाघरा गांव पहुंची। ग्रामीणों से पिछले 27 जून को पुलिस और पत्थलगड़ी घटना की विस्तृत जानकारी उनलोगों ने लिया। संयुक्त विपक्ष की टीम के साथ आए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पत्थलगड़ी पर बात करने की बजाए सरकार राजनीति कर रही है। वहीं, कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय व अन्य ने भी राज्य सरकार को इस मुद्दे पर कोसा।
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में ग्रामसभा को क्या-क्या अधिकार है, वर्तमान में गांव के लोग उन बातों को पत्थरों पर उल्लेख कर रहे हैं। मुझे लगता है कि इसमें कोई गलत नहीं है। बल्कि सरकार का यह दायित्व बनता है कि पंचायत को क्या अधिकार है यह बताए। अगर उसमें से कुछ गड़बड़ी हो रही है,कुछ लोग उसको गलत मिसइंटरप्रिटेट (गलत व्याख्या)कर रहे हैं तो फिर उनसे सरकार को बात करनी चाहिए। लेकिन सरकार ने इसकी कोई जरूरत नहीं समझी। सरकार को इसपर भी राजनीति करनी है। उन्होंने कहा कि जमीन की लड़ाई में हमसब को एकजुट होना पड़ेगा। इस क्रम में बुजुर्ग महिला दुलारी देवी और मंझिया मुंडा ने कहा कि बाहर के लोगों ने इस गांव में पत्थलगड़ी किया है। गांव के लोग उसमें शामिल नहीं थे। महिलाओं ने कहा कि पुलिस ने गर्भवती महिलाओं पर भी लाठियां बरसाई हैं।
वहीं, ग्रामीणों की बातों को सुनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अभी तक गांव में दहशत का माहौल है। गांव के सभी पुरुष पुलिस के डर से गांव से भागे हुए हैं। गांव में सिर्फ महिलाएं हैं। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि अब डरने की जरूरत नहीं है। कब तक गांव छोड़ भागेंगे। इसलिए गांव वापस आ जाएं। सीएनटी-एसपीटी को सरकार चूहे की तरह कुतर रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों से हिम्मत कर गांव आएं और खेतीबाड़ी करें। जिला प्रशासन को गांव से पुलिस को हटा देना चाहिए। जो दोषी है उसपर कार्रवाई करना चाहिए। अन्य ग्रामीणों को परेशान नहीं करना चाहिए। सरकार जानबूझ कर खूंटी को अशांत करना चाहती है। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए इस तरह के काम सरकार कर रही है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के आने की सूचना पर पुलिस ने गांव वालों को गांव से भाग जाने की बात कही थी। अगर इस प्रकार का प्रचार प्रशासन के लोग कर रहे हैं तो दुखद है। वहीं ग्रामीणों से बात करने के बाद बाबूलाल मरांडी और बंधु तिर्की ने घाघरा गांव की सीमा पर गड़े पत्थर को ध्यान से पढ़ा। उन्होंने अपने पीए को पत्थर की फोटो खींच कर रांची में दिखाने की बात कही। पत्थर को निहारने के बाद जागरण से बात करते हुए कहा कि पत्थर पर कुछ बातें गलत अंकित की गई हैं। पत्थलगड़ी समर्थक और ग्रामीणों में सरकार के प्रति आक्रोश है। इसी आक्रोश में ऐसा लिख दिया है। इसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है।
दिल्ली में किसी का गट्टा क्यों न पकड़ना पड़े, हमलोग पीछे नहीं हटेंगे: सुबोधकांत
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा कि गांव मे पुलिस का दहशत है उसे समाप्त करना हमसभी की जिम्मेदारी है। हमलोग दहशत को तोड़ना चाहते हैं। इसके लिए दिल्ली में किसी का गट्टा क्यों न पकड़ना पड़े, हमलोग पीछे नहीं हटेंगे। गांव बचेगा तो सोच बचेगी। सरकार जाए जहन्नुम में, मुझे गांव को बचाना है। पत्थलगड़ी कोई गलत काम नहीं है। वर्जित क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूची लागू होनी चाहिए।
पत्थलगड़ी समर्थकों ने कोई गलत काम नहीं किया है। सरकार पत्थलगाड़ी वाले को उग्रवादी बता रही है, यह गलत है। संयुक्त विपक्ष में कांग्रेस, झामुमो, झाविमो, राजद, भाकपा माले, सीपीआई के नेता आए हुए थे। नेताओं में झामुमो से सुप्रियो भट्टाचार्य, पूर्व विधायक अमित महतो, तोरपा विधायक पौलूस सुरीन, माले से जनार्दन सिंह, सीपीआइ से केडी बक्सी, पूर्व विधायक बंधु तिर्की, समाज सेविका वास्वी किडो ,झाविमो जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा सहित कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।