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बंगाली समाज में घर-घर की गई लक्ष्मी की आराधना

नाला (जामताड़ा) क्षेत्र में मकर संक्राति को लेकर उत्साह को माहौल बना हुआ है। बंगला पंचांग के अनुसार पोष महीना के अंतिम दिन यानी बुधवार को मकर संक्राति पर्व मनाया जाएगा। हिदू रीति-रिवाज के अनुसार हिदुओं में खासकर बंगाली समुदाय संक्रांति के पूर्व संध्या पर मंगलवार को घर-घर में बाउड़ी लक्ष्मी के रूप में मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं। सो घर-घर लक्ष्मी की पूजा की गई। घर में माता लक्ष्मी के वास के लिए घर में धान चावल समेत विभिन्न अन्न का बंधन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 04:35 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 06:20 AM (IST)
बंगाली समाज में घर-घर की गई लक्ष्मी की आराधना
बंगाली समाज में घर-घर की गई लक्ष्मी की आराधना

नाला (जामताड़ा) : क्षेत्र में मकर संक्राति को लेकर उत्साह को माहौल बना हुआ है। बंगला पंचांग के अनुसार पोष महीना के अंतिम दिन यानी बुधवार को मकर संक्राति पर्व मनाया जाएगा। हिदू रीति-रिवाज के अनुसार हिदुओं में खासकर बंगाली समुदाय संक्रांति के पूर्व संध्या पर मंगलवार को घर-घर में बाउड़ी लक्ष्मी के रूप में मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं। सो घर-घर लक्ष्मी की पूजा की गई। घर में माता लक्ष्मी के वास के लिए घर में धान, चावल समेत विभिन्न अन्न का बंधन किया गया।

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बुधवार की सुबह बंधन मुक्त कर नहाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। कई लोग अपने घर के समीप पवित्र सरोवर में तो कई गांव के समीप नदियों में तथा दूर दराज के विभिन्न तीर्थस्थलों में पहुंचकर मकर स्नान करेंगे। युवा वर्ग से लेकर वयोवृद्ध महिला-पुरुष काफी उत्साहित हैं। इस क्षेत्र के लोग वीरभूम जिला के जयदेव केंदुली तीर्थस्थल पहुंचकर नदी में डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना करते हैं। लोगों ने वीरभूम रवाना होने को सारी तैयारी पूरी कर ली है। युवाओं का दल जयदेव मेला का आनंद लेने के लिए बुधवार को रवाना होंगे। इसके लिए वाहनों को किराए पर लिया गया है।

बता दें कि पड़ोसी राज्य के वीरभूम जिले के इलाम बाजार ग्राम पंचायत अंतर्गत जयदेव केंदुली गांव के समीप अजय नदी किनारे यह मेला लगता है। नाला से केंदुली की दूरी करीब सौ किमी है। जयदेव भगवान के नाम से प्रसिद्ध तीर्थस्थल इस क्षेत्र में भी काफी चर्चित है। पूरे जामताड़ा जिले के अलावा झारखंड के विभिन्न दूर-दराज जगहों से हजारों की संख्या में भक्त वहां पहुंचते हैं। भक्त नदी में डुबकी लगाकर राधा-गोविद की पूजा-अर्चना व दान-दक्षिणा कर पुण्य के भागीदार बनते हैं। मेला स्नान, दान व ध्यान के लिए काफी प्रसिद्ध है। जयदेव भगवान भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं। खासकर वैष्णव संप्रदाय के लोग बड़ी तादाद में केंदुली पहुंचते हैं। मेला में गीत बाउल तथा कीर्तन की धूम रहती है। इस क्षेत्र के ग्रामीण जयदेव मेला में पहुंचकर कीर्तन तथा बाउल गाना के कलाकारों की बुकिग भी करते हैं। फिर उन्हें कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सहयोग से नाला आदि अपने इलाकों में बुलाया जाता है।


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