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जल संचय में बाधक बनी जलकुंभी व गंदगी

मदन पोद्दार नारायणपुर (जामताड़ा) नारायणपुर का महतो तालाब बदहाल है। क्षेत्र का यह महत्व

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 12:31 AM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 12:31 AM (IST)
जल संचय में बाधक बनी जलकुंभी व गंदगी
जल संचय में बाधक बनी जलकुंभी व गंदगी

मदन पोद्दार, नारायणपुर (जामताड़ा) : नारायणपुर का महतो तालाब बदहाल है। क्षेत्र का यह महत्वपूर्ण तालाब अनुपयोगी हो गया है। यह सरकारी उपेक्षा का दंश रहा है। नारायणपुर बाजार स्थित यह 100 वर्ष पुरानी एक एकड़ में फैला है। तालाब की सुरक्षा औक देखरेख के प्रति अनदेखी शुरू से हो रही। लाख प्रयास के बाद भी तालाब में गहरीकरण का कार्य नहीं हो पाया है। अन्य स्थानों के तालाबों का जीर्णोद्धार हुआ परंतु इस तालाब की ओर किसी का ध्यान नही गया। नतीजतन इनमें नाम मात्र का पानी रह गया है।

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लोग बताते हैं कि तालाब में पानी नहीं रहने से प्रतिवर्ष गर्मी में क्षेत्र का जलस्तर रसातल चला जाता है। इससे आसपास घर के कुओं व चापाकल से पानी मिलना बंद हो जाता है। फिर भी तालाब की समय पर सफाई, बारिश में पानी का बहाव प्रवेश कराने के उपायों पर ध्यान नहीं दिया जाता।

तालाब का गहरीकरण नहीं होने व तालाब में पानी पहुंचाने का कोई स्त्रोत नहीं रहने पर पानी का संग्रह नहीं हो रहा है। एक समय तालाब में दस फीट से अधिक पानी रहता था। आज काफी कम पानी बचा है। वह भी शीघ्र ही सूख जाएगा। तालाब की बदतर स्थिति से नारायणपुर के लोग काफी चितित देखे जा रहे है। तालाब सूखने से आसपास के कुआं व चापाकल में जलस्तर नीचे जाने का डर अभी से सताने लगा है। तालाब के पानी का नारायणपुर के लगभग एक हजार लोग उपयोगी करते है। साथ ही पशुओं के लिए भी यह तालाब उपयोगी है। श्राद्ध कर्म, शादी विवाह के कार्यक्रम के साथ कई धार्मिक अनुष्ठानों में तालाब काम आता है। स्थानीय लोगों ने कई बार तालाब के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की मांग जनप्रतिनिधियों और विभाग से की परंतु परिणाम सिफर रहा। केवल एक बार तत्कालीन विधायक स्वर्गीय विष्णु प्रसाद भैया ने अपनी निधि से तालाब के किनारे सौ फीट सीमेंट की सीढ़ी बनवाई थी।

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कई बार तालाब के जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण के लिए विभाग को आवेदन दिया गया है। सर्वे किया गया है परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह महत्वपूर्ण तालाब है। इसे संरक्षित रखने के लिए विभाग को पहल करनी चाहिए। सुरक्षा के अभाव में बारिश का पानी सालों भी तालाब में ठहर नहीं पाता।

बंमशंकर दुबे, ग्रामीण।

-------------- वर्षों पूर्व यहां तालाब का निर्माण किया गया था। उस समय इस तालाब का जल इतना स्वच्छ था कि लोग इसे पीते भी थे। तालाब को संरक्षित करना जरूरी है। जीर्णोद्धार होने से तालाब में पानी संग्रह होगा। पानी के लिए लोगों को इधर- उधर भटकना नही पड़ेगा। जलस्तर कायम रहेगा।

मीलू मंडल, ग्रामीण।

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महतो तालाब के नाम से यह प्रसिद्ध हुआ। लोग यहां कपड़ा साफ करना, स्नान करने समेत सहित पूजा-पाठ के लिए उपयोग करते थे। परंतु सरकारी उपेक्षा के कारण तालाब का अस्तित्व खतरे में है। पानी नहीं रहने ने अभी से आसपास के कुआं व चापाकल पर प्रभाव पड़ने लगा है।

नरेश हांसदा, ग्राम प्रधान। तालाब का जीर्णोद्धार नहीं हुआ तो पानी की कमी होगी। आसपास के कुआं व चापाकल में जल स्तर नीचे चला जाएगा। तालाब गंदगी से भरा है। जलकुंभी भी बढ़ने लगा है। तालाब की सुरक्षा के लिए आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूर है। तालाब की गाद और जलकुंभी हटाना जरूरी है।

-कालीचरण दास ग्रामीण।


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