कलश विसर्जन के साथ चंचला महोत्सव का समापन
जामताड़ा : आस्था की देवी मां चंचला की तीन दिवसीय वाíषक महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन शुक्रवार
जामताड़ा : आस्था की देवी मां चंचला की तीन दिवसीय वाíषक महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन शुक्रवार को मंदिर परिसर में धाíमक अनुष्ठानों व अध्यात्मिक गतिविधियों का सिलसिला सुबह से कलश विसर्जन तक चलते रहा। कलश विसर्जन के लिए पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर मंदिर परिसर पहुंची। कुवांरी कन्याओं में मां के प्रति भक्ति भाव व उत्साह देखते ही बन रही था। इसके पूर्व सुबह से शहर व जिले के अन्य क्षेत्रों से मां के दर्शन व पूजन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं का दिनभर चंचला मंदिर में तांता लगा रहा। अपराह्न चार बजे शोभा यात्रा के जरिए सरकार तालाब में विधिवत रूप से सैकड़ों कलश का विसर्जन किया गया।
----पंचोपचार पूजा से अनुष्ठान शुरू : महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन शुक्रवार को पुरोहितों ने मुख्य यजमान वीरेंद्र मंडल के पंचोपचार पूजन के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ। इधर पंडित समूह ने मंदिर परिसर में चंडी पाठ पूरा किया। फिर हवन व कन्या भोजन का अनुष्ठान पूरा किया गया। धाíमक अनुष्ठानों में शामिल होने के लिए महिलाओं, पुरुषों व बच्चों से मंदिर परिसर पूरा भरा हुआ था। प्रात: नौ बजे से मां का पंचोपचार पूजा शुरू हुई। वहीं दोपहर में सार्वजनिक पुष्पांजलि व हवन किया गया। पुष्पांजलि व हवन में शहरवासियों के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी भारी संख्या में पहुंचे। सभी की उपस्थिति में मंदिर परिसर में कुमारी कन्याओं व ब्राह्मण भोज का आयोजन किया गया। इसके बाद अपराह्न चार बजे गाजा-बाजा के साथ कलश विसर्जन को यात्रा निकली।
--कलश विसर्जन यात्रा में नाचते-झूमते रहे भक्त : कलश विसर्जन यात्रा के दौरान अत्यधिक भीड़ रहने के कारण शहर के कई मार्गों का आवागमन बाधित रहा। पुलिस सक्रिय रहकर वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजने के प्रयास में जुटी रही। इसबीच कई भजन मंडली के कलाकारों ने नृत्य-संगीत प्रस्तुत कर लोगों को झूमने को विवश कर दिया। यात्रा में शामिल श्रद्धालु गाजे-बाजे के धून पर थिरकते रहे।